यूपी बोर्ड में सफलता न मिले पर दो बच्चों ने की खुदकुशी, एक छात्रा यमुना में कूदी

Prayagraj Zone UP

प्रयागराज।(www.arya-tv.com) राज्य में हर वर्ष परीक्षा परिणाम आता है पर कुछ बच्चों के लिए यह परिणाम खुशिया लेकर आता है तो कुछ बच्चें की जान लेने ऐसा ही हुआ। यूपी बोर्ड की हाई स्‍कूल परीक्षा 2020 में सफलता नहीं मिलने पर प्रयागराज और कौशांबी में एक छात्र और एक छात्रा ने खुदकशी कर ली। दोनों घरों में मातम छा गया है। वहीं इंटरमीडिएट की एक छात्रा ने भी यमुना में कूद कर खुदकुशी करने की कोशिश की। उसे बचा लिया गया है। प्रयागराज में थरवई थाना क्षेत्र के कुंसूगुर गांव निवासी रामदेव उर्फ पप्पू गुप्ता सब्जी बेचकर गुजारा करते हैैंं। उनका 16 वर्षीय पुत्र प्रभु फिरोज गांधी इंटर कॉलेज में हाईस्कूल का छात्र था। पिता ने बताया कि परीक्षा परिणाम आने पर पता चला कि वह फेल हो गया।

इसके बाद वह बिना किसी को कुछ बताए घर से चला गया। शनिवार की रात में स्कूल के सामने स्थित आम के बाग में रस्सी के फंदे से प्रभु को ग्रामीणों ने लटकता देखा। खबर मिलते ही स्वजन और थरवई पुलिस मौके पर पहुंची। छात्र के आत्मघाती कदम से हर कोई स्तब्ध था। थानाध्यक्ष थरवई भुवनेश चौबे का कहना है हाई स्कूल की परीक्षा में फेल होने के कारण छात्र ने फांसी लगाकर जान दी है। उसके पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। इसी प्रकार सिविल लाइंस स्थित नगर निगम परिसर में रहने वाली एक छात्रा ने इंटरमीडिएट की परीक्षा में फेल होने के बाद नए पुल से यमुना में कूद गई। यह देख आसपास मौजूद नाविक भी यमुना में कूद पड़े और किसी तरह छात्रा को बचा लिया।

मौके पर पहुंची कीडगंज पुलिस ने छात्रा को अस्पताल में भर्ती करवाया। चौकी इंचार्ज नाका ज्ञानेश ङ्क्षसह ने बताया कि ठीक होने पर छात्रा को परिजनों के साथ घर भेज दिया गया है। कौशांबी जनपद में पिपरी थाना क्षेत्र के कटहुला गौसपुर गांव में रविवार सुबह एक किशोर का शव कमरे के अंदर रस्सी के सहारे छत के चुल्ले से लटकता मिला। पिपरी के कटहुला गौसपुर गांव निवासी असलम की (15) वर्षीय पुत्री आरसिया गांव के ही एक विद्यालय में हाई स्कूल की छात्रा थी। स्वजनों की मानें तो परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त न होने से क्षुब्‍ध छात्रा शाम से ही गुमशुम हो गई थी। रात को खाना खाने के बाद घर के सारे सदस्य अपने-अपने कमरे में सोने चले गए।

आरसिया ने कमरे के अंदर छत के चुल्ले के सहारे रस्सी के फंदे पर लटक कर मौत को गले लगा लिया। यूपी बोर्ड परीक्षा का परिणाम जो भी हो, अभिभावक भी उसे स्वीकार करें। इसे लेकर बच्चे भी तनाव न लें। अब वह आगे की तैयारी पर फोकस करें। यह कहना है मनोचिकित्सक डॉ. कमलेश तिवारी का। दरअसल, परिणाम को लेकर बच्चे भी चिंता का शिकार हो जाते हैं। वह अपने मन की बात भी किसी से नहीं कह पाते। इसी उधेड़बुन में वह गलत कदम भी उठा लेते हैं। बच्चे पर अभिभावक की एक नजर इन सब दुविधाओं को दूर कर सकती है। डॉ. तिवारी कहते हैं कि इस दौर में बच्चों से अभिभावकों को सकारात्मक संवाद स्थापित करना चाहिए। उन्हें दूसरे बच्चों से अपने बच्चों की तुलना नहीं करनी चाहिए। परिणाम जैसा भी हो उसे स्वीकार कर आगे की तैयारी पर ध्यान दें।