समान नागरिक संहिता को लेकर NDA में तकरार, मेघालय के सीएम ने PM मोदी के यूसीसी पर जोर देने पर आलोचना की

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(www.arya-tv.com) समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर विपक्ष तो विरोध में था ही, अब एनडीए में भी दरार देखने को मिल रही है। दरअसल, मेघालय के सीएम कॉनराड संगमा ने शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी के यूसीसी पर जोर देने की आलोचना की। कहा कि भारत एक विविधतापूर्ण देश है और विविधता ही हमारी ताकत है। समान नागरिक संहिता के रूप में पार्टी का अब तक का नजरिया भारत के विचार के ही खिलाफ है।

बता दें, एनपीपी भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) की सहयोगी है। यह सत्तारूढ़ मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस (एमडीए) का नेतृत्व करती है। दो विधायकों के साथ भाजपा एमडीए सरकार में भागीदार है, जबकि 60 सीटों वाली विधानसभा में संगमा की पार्टी के 28 विधायक हैं। एनपीपी का मेघालय के अलावा मणिपुर, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश में मजबूत राजनीतिक आधार है।

गौरतलब है, अमेरिकी दौरे से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ अभियान के तहत भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो वो घर नहीं चल पाएगा। ऐसे में दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? उन्होंने आगे कहा था कि संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट भी कह रही है कि कॉमन सिविल कोड लाओ।

इसके बाद से ही अटकलें लगाई जा रही हैं कि विधि आयोग ने यूसीसी पर सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों के विचार आमंत्रित किए हैं, जिससे यह अटकलें तेज हो गई हैं कि एक मसौदा अगले संसद सत्र में पेश किया जा सकता है।

नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के अध्यक्ष संगमा ने कहा कि यूसीसी देश के लिए उपयुक्त नहीं है। यह भारत के वास्तविक विचार के खिलाफ है, जो विविधता में एकता की विशेषता वाला एक विविध राष्ट्र है। उन्होंने आगे कहा कि विविध संस्कृतियां, परंपराएं, जीवनशैली और धर्म देश की ताकत हैं।

उन्होंने कहा कि मेघालय एक मातृसत्तात्मक समाज है और यही हमारी ताकत है। जिस संस्कृति और अन्य पहलुओं का हम लंबे समय से अनुसरण कर रहे हैं, उन्हें बदला नहीं जा सकता। एक राजनीतिक दल के रूप में, हमें एहसास है कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र को एक अनूठी संस्कृति मिली है। हम नहीं चाहेंगे कि हमारी परंपरा और संस्कृति को छुआ जाए।

समान नागरिक संहिता का मतलब सबके लिए एक कानून से है। इसके तहत सभी धार्मिक समुदायों पर विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने और रखरखाव जैसे मसलों पर एक जैसा कानून लागू होगा। देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान आपराधिक संहिता तो है, लेकिन समान नागरिक कानून नहीं है।