मुंबई में सिक्योरिटी गार्ड ने अरबों का फ्रॉड किया

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(www.arya-tv.com) महाठग संजय राय शेरपुरिया अपना शुरुआती जीवन गरीबी और भुखमरी से यापन किया है। जिसके बाद फोर्ब्स के बिलिनियर क्लब में नाम दर्ज कराया। रिफाइनरी का मालिक बनकर SBI से 1200 करोड़ का लोन लेकर बैंक करप्ट हो गया। जिसके बाद अरबपति होकर वह बेरोजगारों को रोजगार दिलाने से लेकर करोना काल में मदद के नाम पर लाखों खर्च किया है। उसके पास यह पैसे कहां से आता। उसके जीवन से जुड़ी कहानी को आज हम परत-दर परत बाते हैं।

महाठग संजय राय बचपन में असम में अपने पिता के साथ रहता था। जहां पिता परचून की दुकान चलाते थे। नक्सलवाद के चलते पिता परिवार के साथ पलायन कर गाजीपुर स्थित शेरपुरिया गांव आ गए। जिसके बाद वह वहां जमीन खरीदकर खेती शुरू कर दिए। इसके बाद 10वीं पास संजय राय मुंबई चला गया। जहां कुछ दिनों सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने के बाद गुजरात पहुंचा। वहीं, से संजय राय शेरपुरिया अपने काले कारनामें शुरू कर दिए।

गुजरात में एक रिफाइनरी में काम किया, फिर खोलने की प्लानिंग

STF सूत्रों के मुताबिक गुजरात में शेरपुरिया ने पहले एक रिफाइनरी में काम किया। वहीं एक बड़े घर की लड़की से शादी की। जिसकी मदद से एक रिफाइनरी खोलने के लिए अपने जांल में फंसाकर वहां के कुछ उद्योगपतियों को भरोसे में लेकर रिफाइनरी खोली। जिसके लिए बैंकों से करीब 1200 करोड़ रुपए लोन लिया।

दिल्ली में राइडिंग क्लब के आवास में धोखाधड़ी

गुजरात में उसने कांडला एनर्जी एंड केमिकल लिमिटेड कंपनी बनाकर कुछ ही समय में उसने अरबों रुपए का साम्राज्य स्थापित कर लिया। इसी बीच लोन न चुकाने पर SBI बैंक ने डिफाल्टर घोषित कर दिया। जिसके बाद वह पत्नी और परिवार के साथ दिल्ली चला आया। यहां पर राइडिंग क्लब के आवास में धोखाधड़ी से एक बंगले पर कब्जा किया और अपना ठगी का धंधा शुरू कर दिया।

जहां कुछ ही समय बाद फिर से लोगों को सरकारी ठेके से लेकर नौकरी और सरकारी जांच एजेंसियों की जांच से बचाने से लेकर सांसदी और विधायकी के टिकट दिलाने के नाम पर ठगी करने लगा। साथ ही यूपी की राजनीति में पैर जमाने के लिए लखनऊ से बनारस तक अपनी पहुंच का प्रचार करने लगा। यूपी के सियासी गलियारों में दो साल के अंदर डिप्टी सीएम से लेकर मंत्रियों, उद्योगपतियों के साथ कई कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों की नजरों में आ गया।

उसके साथ ही खुद को राजनेता के तौर पर पेश करने के लिए सोशल मीडिया के साथ ही नेशनल न्यूज चैनल पर भी अपने प्रायोजित कार्यक्रमों को फ्लैश कराने लगा। इस बीच उसके काले कारनामें में उद्योगपति गौरव डालमिया भी शामिल हो गए। उनकी ईडी से जांच को ठंडे बस्ते में डालने के छह करोड रुपए ले लिए और STF के चंगुल में फंस गया।

53 कंपनियों के जरिए किया अरबों का खेल

संजय राय ने सबसे पहले कांडला एनर्जी एंड केमिकल लिमिटेड कंपनी बनाई। इसके साथ ही 52 और डमी कंपनी खड़ी की। जिनके माध्यम से पैसों में हेरफेर किया। STF सूत्रों के मुताबिक, कांडला एनर्जी एंड केमिकल की आड़ में अपनी चार शैल कंपनियों के जरिए मनी लांडरिंग का खेल करने लगा था। खुद न फंसे इसके चलते इसमें उनमें डमी डायरेक्टर बनाए और खुद व पत्नी को पदाधिकारी नहीं बनाया। हालांकि कंपनी के लोन में गारंटर बनने और हर कार्यक्रम में मौजूद रहने से फंस गया। जिसे STF ने सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया है।

करोना काल में लकड़ी बैंक की शुरुआत की

कोरोना काल में संजय ने एंबुलेंस सेवा के साथ ही लकड़ी बैंक तक की शुरूआत की। जिससे कोरोना पीड़ितो के इलाज से लेकर अंतिम संस्कार तक की व्यवस्था हो सके। जिसके बाद वह गाजीपुर इलाके में चर्चा में आ गया। इसी बीच उसने बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिए एक प्रोजेक्ट लॉच किया। जिसमें कई नामजीन नेता और संतों ने भाग लिया।