एमपी चुनाव: ओपिनियन पोल्स में शिवराज सिंह चौहान की बल्ले-बल्ले, तीन तरफ से मिले शुभ संकेत, अभी भी सबसे पसंदीदा चेहरा

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(www.arya-tv.com) एमपी चुनाव में अलग-अलग ओपिनियन पोल आ रहे हैं। इस बार के ओपिनियन पोल में कांटे की टक्कर की दिख रही है। वहीं, कुछ ओपिनियन पोल से यह संकेत मिल रहे हैं कि शिवराज सरकार की वापसी हो रही है। इन संकेतों से बीजेपी खेमे में खुशी की लहर है। हाल ही में आए एक ओपिनियन पोल का अनुमान है कि बीजेपी को प्रदेश में 140 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, सीएम शिवराज सिंह चौहान के चेहरे को लोगों ने सबसे अधिक पसंद किया है। दूसरे नंबर पर कमलनाथ का चेहरा है।

बीजेपी के लिए अच्छी खबर यह है कि 18 साल तक सीएम रहने के बावजूद शिवराज सिंह चौहान लोगों की पहली पसंद हैं। एमपी में पिछले दस दिनों में अलग-अलग एजेंसियों के तीन सर्वे आए हैं। इन सर्वेज में बीजेपी की वापसी के संकेत दिख रहे हैं। साथ ही स्पष्ट बहुमत की भी संभावना दिख रही है। ये बदलाव लाड़ली बहना योजना के लागू होने के बाद दिख रहे हैं। इस योजना के जरिए लोगों के घरों में सीधे पैसे पहुंच रहे हैं। साथ ही पेशा एक्ट भी सरकार के लिए गेमचेंजर साबित हो रही है।

वहीं, बीते दस दिनों में आईएनएस एजेंसी, एक चैनल और पोलस्टर के ओपिनियन पोल आए हैं। इन सभी पोल में बीजेपी को बहुमत से अधिक सीटें मिल रही हैं। वहीं, कांग्रेस को भी इन पोल्स में 100 से अधिक सीटें दिख रही। तमाम सर्वे से यह साफ है कि लाड़ली बहना योजना से प्रदेश में परिस्थिति बदल गई है।

कुछ दिन पहले पोलस्टर के आए सर्वे के मुताबितक एमपी में आज चुनाव हो जाए तो बीजेपी को 131-146 सीटें मिल सकती हैं। जबकि कांग्रेस को 66 से 81 सीटें मिलने का अनुमान है। ओपिनियन पोल में 58.3 फ़ीसदी जनता ने शिवराज सिंह चौहान सरकार के कामकाज को बेहतर माना जबकि कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को केवल 41.7 फीसदी जनता का समर्थन।

शिवराज भरोसेमंद चेहरे

वहीं, तीनों सर्वे में यह साफ है कि सीएम पद की रेस में कमलनाथ से शिवराज सिंह चौहान आगे हैं। साथ ही एंटी इंकम्बैंसी कोई बड़ा फैक्टर नहीं है। पोल में 60 फीसदी लोगों ने शिवराज को पसंद किया है।

बीजेपी को मिल रहा बहनों का प्यार

दरअसल, एमपी में शिवराज सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की है। इसका असर दिख रहा है, चुनावी पोल में महिलाओं ने शिवराज सरकार को व्यापक जन समर्थन दिया है। पेशा कानून की वजह से आदिवासी समाज का भी समर्थन मिला है। 43 फीसदी से अधिक लोग मानते हैं कि इस कानून का लाभ उन्हें मिल रहा है।

वहीं, 18 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद एंटी इंकम्बैंसी का न होना एक शोध का विषय हो सकता है। कथित तौर पर यह माना जा रहा है कि इस चुनाव में भी बीजेपी की तरफ से पोस्टर बॉय शिवराज सिंह चौहान ही हैं। साथ ही प्रदेश में उनकी सक्रियता इस बात की गवाह है। दिल्ली भी उनके काम पर मुहर लगाती रही है। पिछले दिनों पीएम मोदी ने भी उनकी तारीफ की थी।

कुछ विधायकों से नाराजगी है

हालांकि जमीनी स्तर पर स्थानीय मुद्दों की वजह से बीजेपी के कुछ विधायकों से नाराजगी है। लेकिन सीएम शिवराज सिंह चौहान के प्रति कोई बड़ी नाराजगी नहीं देखने को मिली है। ऐसे में संभावना है कि स्थानीय स्तर पर मिले फीडबैक के आधार पर कुछ विधायकों का पत्ता कट सकता है।

मामा सबके लिए उपलब्ध

वहीं, प्रदेश की जनता को मामा की सहजता पसंद आती है। वह कहीं भी लोगों के बीच में पहुंच जाते हैं। अपने परिवार की तरह उन्हें प्यार देते हैं। साथ ही विपरीत विचारधारा वालों से भी सामंजस्य बैठाकर चलते हैं। यही वजह है कि बाहर से आए लोगों को भी उन्होंने मुरीद बना लिया है।