मॉं का मातृत्व
सुबह रोज जल्दी उठकर
बच्चों का टिफिन बनाती है
फिर उनको बड़े प्यार से लाड़—दुलार से गहरी नींद से जगाती है।
जल्दी—जल्दी उनको तैयार कर
स्कूल छोड़ने उनको जाती है
फिर घर आकर बाकी काम निपटाती है।
जल्दी—जल्दी तैयार होकर वह ऑफिस जाती है
हर वक्त उसकी नजरें समय पर रहती है
वह बच्चे की स्कूल की छुट्टी का समय हमेशा याद रखती है
वह कहीं पर भी हो पर अपने बच्चे के ख्याल में परेशान रहती है।
पढ़ लिखकर बच्चा बड़ा भी हो जाए
पर मॉं के लिए वह हमेशा छोटा बच्चा ही रहता है
मॉं का दिल एक मोम सा होता है
वह खुद कांटो को चुनकर
बच्चों को फूल सा महकाती है।
मॉं जैसा इस दुनिया में,कोई दूसरा न हो सकता है
मॉं तो मॉं होती है,उसकी जगह कोई नहीं ले सकता है
मॉं ही एक ऐसी है जो बच्चे की खुशी में अपनी खुशी समझती है।
- लेखिका माधुरी शुक्ला आर्यकुल कालेज पत्रकारिता विभाग