(www.arya-tv.com) भारतीय विदेश मंत्रालय के सामने नई दिल्ली में अफगानिस्तान के एम्बेसेडर से जुड़ा एक अहम सवाल खड़ा हो गया है। दरअसल, अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान ने इसी महीने कादिर शाह को भारत में चार्ज डी अफेयर्स (आसान भाषा में एम्बेसी इंचार्ज) अपॉइंट किया है।
भारत समेत किसी भी देश ने तालिबान हुकूमत को मान्यता नहीं दी है। लिहाजा, भारत सरकार भी 15 अगस्त 2021 के पहले से तैनात अफगान एम्बेसेडर (फरीद मामुंदजई) को ही अफगानिस्तान का असली एम्बेसेडर मानती है।
दिक्कत ये है कि अगर फरीद को ही एम्बेसेडर की तरह ट्रीट किया गया तो इससे तालिबान हुकूमत नाराज हो सकती है, और अगर कादिर को एम्बेसेडर माना गया तो यह कूटनीतिक सिद्दांतों यानी डिप्लोमैटिक नॉर्म्स के खिलाफ होगा।
बहरहाल, भारत ने फिलहाल यह कहते हुए मामले से पल्ला झाड़ लिया है कि यह अफगानिस्तान का अंदरूनी मामला है और इससे भारतीय विदेश मंत्रालय का कोई लेनादेना नहीं है।
डिप्लोमैटिक प्रॉब्लम क्या है
- आगे बढ़ने से पहले इस मामले का एक और पहलू जानना जरूरी है। दरअसल, दुनिया के किसी भी देश ने तालिबान हुकूमत को मान्यता नहीं दी है। अब जाहिर है जब तालिबान हुकूमत को ऑफिशियल गनर्वमेंट स्टेटस ही हासिल नहीं हैं तो वो डिप्लोमैट्स या एम्बेसेडर कैसे अपॉइंट कर सकती है।
- कुछ देशों ने इसका एक रास्ता निकाला। अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ के मुताबिक- कई देशों में अफगानिस्तान के फॉरेन मिशन्स हैं। इन्होंने तालिबान हुकूमत को सरकार का दर्जा तो नहीं दिया, लेकिन उसके मिशन्स को भी बंद नहीं किया। इनमें रूस, चीन, पाकिस्तान, कजाखिस्तान और ईरान भी शामिल हैं।
- खास बात ये है कि इन मिशन्स में तालिबान के अपॉइंट किए हुए अफसर ही काम कर रहे हैं। नेशनल फ्लैग भी ‘इस्लामिक एमिरेट्स ऑफ अफगानिस्तान’ का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये नाम तालिबान का दिया हुआ है। इसके पहले अफगानिस्तान की सरकारें डिप्लोमैटिक वर्ल्ड में ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान’ के नाम से काम करती थीं।
अब क्या हो रहा है…
फरीद खुद पर लगाए गए करप्शन के आरोपों को खारिज करते हुए कहते हैं- तमाम आरोप सरासर झूठ और एकतरफा हैं। अफगानिस्तान में लोकतंत्र नहीं बचा। हमने एक बयान जारी करके कादिर शाह के आरोपों और उनके एम्बेसी इंचार्ज होने के दावों को नकार दिया है।
कादिर शाह का अपॉइंटमेंट लेटर 25 अप्रैल को तालिबान की मिनिस्ट्री ऑफ फॉरेन अफेयर्स ने जारी किया। इसका नंबर 3578 है। इसमें फरीद मामुंदजई से कहा गया था कि वो काबुल आकर रिपोर्ट करें।