UPSC परीक्षा को शहरों और ग्रामीण छात्रों के लिए समान बनाएं… समिति के सुझाव से मिल सकती है बड़ी राहत

# ## Education

(www.arya-tv.com) देश के सबसे कठिन एग्जाम यूपीएससी के पैटर्न में लंबे समय से बदलाव की मांग की जा रही है। कभी यूपीएससी के सिलेबस को लेकर सवाल उठते हैं, तो कभी परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के स्तर को लेकर। यूपीएससी पर ये भी आरोप लगते हैं कि उनका परीक्षा पैटर्न शहरी परिवेश के छात्रों के हिसाब से तैयार किया गया है।

ग्रामीण और हिंदी पट्टी से आने वाले छात्रों के साथ यूपीएससी अहित करता है। ये बात किसी से छिपी नहीं है कि इतने बड़े एग्जाम में अंग्रेजी माध्यम से आने वाले छात्रों की तूती बोलती है, वहीं हर साल हिंदी माध्यम के गिने चुने छात्र पास हो पाते हैं। लेकिन अब हिंदी माध्यम और ग्रामीण परिवेश के छात्रों के लिए खुशखबरी है।

संसदीय समिति ने यूपीएससी परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए एक कमेटी बनाने की सिफारिश की है। ये कमेटी इस बात का अध्ययन करेगी कि क्या वर्तमान परीक्षा प्रणाली अंग्रेजी माध्यम के शहरी उम्मीदवारों और गैर-अंग्रेजी माध्यम से शिक्षित ग्रामीण उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान करती है?

IAS अधिकारियों के 1472 पद खाली

जानकारी के अनुसार संसदीय समिति ने IAS अधिकारियों के लिए 1472 खाली पदों पर जोर देते हुए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) पर अपनी रिपोर्ट में कई सुझाव दिए। पैनल की रिपोर्ट में बताया कि डीओपीटी द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, आईएएस अधिकारियों की 1,472 की भारी कमी है,

जिसमें सीधी भर्ती पदों में 850 और प्रमोशन वाले पदों में 622 पद खाली हैं। अधिकारियों की कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार सालाना 180 आईएएस अधिकारियों की भर्ती कर रही है। समिति ने सिफारिश की है कि डीओपीटी घाटे को भरने के लिए प्रत्यक्ष भर्ती आईएएस अधिकारियों की संख्या बढ़ाने पर विचार करे।

‘IAS अधिकारी अपनी संपत्ति की जानकारी नहीं दे रहे’

डीओपीटी के अनुसार जरूरी रिजर्व 1,469 अधिकारियों में से केवल 442 अधिकारी वर्तमान में केंद्र में काम कर रहे हैं। पैनल ने सुझाव दिया कि केंद्र को इस मामले को राज्य सरकारों के साथ उठाना चाहिए।

इसके अलावा पैनल ने नोट किया कि बड़ी संख्या में आईएएस अधिकारी अपनी सालाना अचल संपत्ति रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं। इसने सिफारिश की कि डीओपीटी पब्लिक ऑफिसर्स द्वारा दाखिल किए गए संपत्ति रिटर्न की जानकारी की सटीकता को सत्यापित करने के लिए एक सिस्टम बनाए।

UPSC परीक्षाओं में लेटलतीफी पर जताई चिंता

यूपीएससी परीक्षाओं को लेकर पैनल ने प्रक्रिया की लंबी अवधि के बारे में चिंता जताई, जिसमें परीक्षा के नोटिफिकेशन से रिजल्ट तक करीब 15 महीने का लंबा वक्त लग जाता है।

पैनल का मानना है कि उम्मीदवारों के जरूरी सालों को बर्बाद करने और उनकी शारीरिक और मानसिक काबिलियत को प्रभाविक करने से बचने के लिए भर्ती परीक्षाओं को आदर्श रूप से 6 महीने के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।

‘5 किमी की रेंज में मिलें एग्जाम सेंटर’

पैनल की रिपोर्ट का जवाब देते हुए सरकार ने बताया कि सिविल सेवा परीक्षा के लिए टाइम साइकल आवेदकों की संख्या और तार्किक कारकों पर विचार करते हुए बनाया गया है। पैनल ने कहा कि परीक्षा के टाइम साइकल में और कमी परीक्षाओं की गुणवत्ता के साथ समझौता कर सकती है,

साथ ही तैयारी का समय कम होने की वजह से उम्मीदवारों में असंतोष पैदा कर सकती है। पैनल ने डीओपीटी और SSC से यह भी आग्रह किया गया कि वे यह सुनिश्चित करें कि उम्मीदवारों को उनके घरों से 5 किमी के दायरे में परीक्षा केंद्र दिए जाएं।