लड़कियों को एक्टिव, क्रिएटिव और पॉजिटिव बनायेगा प्रोजक्ट नन्हीं कली

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  • प्रोजेक्ट नन्हीं कली लॉकडाउन के दौरान लड़कियों को एक्टिव, क्रिएटिव और पॉजिटिव बनाये रखने की दिशा में प्रयासरत

(www.arya-tv.com)लॉकडाउन का लगातार बढ़ाया जाना और उसके चलते स्कूीलों का बंद रहना दुनिया भर के बच्चों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। उन अभावग्रस्त परिवार के बच्चों के लिए यह तो और अधिक मुश्किल है, जिनके पास डिजिटल लर्निंग की सुविधा नहीं है और वो मूलभूत शिक्षा से भी वंचित हैं। स्कूलों के बंद हो जाने के चलते ये बच्चे घरों में बंद रहने के लिए मजबूर हैं। इनके लिए ऑनलाइन क्लास या ऐसा कोई अन्ये साधन भी नहीं है जिनसे वो शैक्षणिक, रचनात्माक व सामाजिक रूप से व्यस्त रहें। भारत के सबसे बड़े कार्यक्रमों में से एक, प्रोजेक्ट नन्हीं कली, जो 10 साल से कम उम्र की लड़कियों को स्कूली शिक्षा पूरी करने में सक्षम बनाता है, वर्तमान में भारत के 8 राज्यों में गरीब परिवारों की 170,000 से अधिक लड़कियों की सहायता कर रही है।

इस प्रोजेक्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए अभिनव समाधान तैयार किए हैं कि लॉकडाउन की चुनौतियों के बावजूद, उनकी प्रत्येक लड़की सुरक्षित और कनेक्टेाड रहते हुए नई-नई चीजें सीखती रहे। नन्हीं कली टीम हर लड़की और उसके परिवार के साथ नियमित संपर्क में है ताकि उनकी भलाई सुनिश्चित हो सके। लड़कियों को संज्ञानात्मक रूप से प्रेरित करने के लिए, इस प्रोजेक्ट ने समर कैम्पों का आयोजन किया है, जिनसे लड़कियां एक्स्ट्रा-करिकुलर गतिविधियों जैसे ओरिगेमी, आर्ट, क्राफ्ट, रीडिंग और स्टोरीटेलिंग में व्यसस्त रहती हैं। इसके अलावा, निबंध लेखन, पेंटिंग, पोस्टर-मेकिंग, ओरिगामी, कविता और कहानी लेखन में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है, जिनमें प्रोजेक्टे के विभिन्नम लोकेशंस की लड़कियां अपने घरों से उत्साहपूर्वक भाग ले रही हैं।

हाल ही में प्रोजेक्ट नन्हीं कली ने मिशन रेनबो लागू किया, जो एक ऐसा कैंपेन है जिसमें विभिन्न स्थानों की लड़कियां वर्चुअल रूप से एक-दूसरे के साथ जुड़ीं और उन्होंने रंगबिरंगे इंद्रधनुष की पेंटिंग बनाई और अपनी कलाकृति की तस्वीपरें साझा कर आशा व सकारात्म‍कता का संदेश दिया। इस गतिविधि ने न केवल लड़कियों को उनकी कलात्मकक रूचियों को प्रकट करने का माध्याम प्रदान किया बल्कि महामारी के चलते पैदा तनाव और अनिश्चितताओं के माहौल में उनके भीतर सकारात्मकता की भावना पैदा की। इस अभियान को नन्ही काली के सोशल मीडिया पेजों पर प्रचारित किया गया और कई व्यक्तियों ने अपनी इंद्रधनुषी पेंटिंग पोस्ट करके अपनी एकजुटता को प्रदर्शित किया। तूफानी रात के बाद निकले इंद्रधनुष की तरह, नन्ही कलियों ने इन विषम परिस्थितियों में हर किसी के चेहरे पर मुस्कान ला दिया।

रचनात्मक गतिविधियों के अलावा, नन्हीं कली टीम भी लड़कियों को घर से पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित करती रही है। ट्यूटर लड़कियों को हल करने के लिए गणितीय समस्याएं, पहेलियाँ और सामान्य ज्ञान परीक्षण साझा करते हैं, जिसके बाद वे टेलीफोन कॉल के माध्यम से उनकी प्रगति की निगरानी करते हैं। समय की अवधि में अपने नन्हीं कली ट्यूटर्स के साथ एक करीबी संबंध स्थापित करने के बाद, लड़कियां खुद को ट्यूटर्स के सामने व्यक्त करने के लिए सहज महसूस करती हैं, संदेह को स्पष्ट करती हैं और मार्गदर्शन प्राप्त करती हैं हालांकि ये दैनिक वार्तालाप हैं। उन लड़कियों के लिए, जिनके पास इंटरनेट,स्मार्टफोन तक पहुंच है, टीम अक्सर सरकार द्वारा शुरू की गई डिजिटल लर्निंग प्लेटफार्मों पर वर्कशीट और लिंक साझा करती है।

कई परियोजना स्थानों में, नन्हीं कली टीमों को स्वेच्छा से लड़कियों, उनके परिवारों और समुदाय के सदस्यों को सिलाई और वितरण किया गया है। फोन कॉल और आभासी बैठकों के माध्यम से वे स्वच्छता प्रथाओं और कोविड-19 रोकथाम उपायों पर समुदायों में जागरूकता पैदा कर रहे हैं, और परिवारों को अपने घरों के लिए आवश्यक वस्तुओं तक पहुंचने में मदद कर रहे हैं। इसके अलावा प्रोजेक्ट नन्हीं कली अपने ट्यूटर्स और कार्यक्रम कार्यान्वयन टीम के लिए व्यापक ऑनलाइन प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण सत्र आयोजित कर रही है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे स्कूलों के पुनरू खुले होते ही ऑन-ग्राउंड संचालन शुरू करने के लिए सुसज्जित हैं।

शीतल मेहता सीनियर वाइस प्रेसीडेंट – सीएसआर महिंद्रा ग्रुप बताती हैं, प्रोजेक्ट नन्हीं कली में हमारे लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है, क्योंकि जारी कोविड-19 संकट से शिक्षा की पहुंच में लिंग असमानता को और अधिक बढ़ जाने का खतरा है। इन अशांत समयों में हमने लड़कियों के साथ जुड़े रहने और यह सुनिश्चित करने कि उनकी सीखने की प्रक्रिया जारी रहे, हमने नए नए तरीके अपनाए हैं कि घर पर उनके लिए उपलब्ध न्यूनतम संसाधन के साथ भी वो सीखने की इस प्रक्रिया से जुड़ी रहें। हम भारत में कमजोर लड़कियों की शिक्षा का समर्थन करने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करने के लिए दृढ़संकल्पित हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि वे महामारी के कारण पीछे न हों।