माफिया अतीक अहमद को जेल में रखकर नहीं मिली कभी सफलता, लगातार लड़ता रहा चुनाव

Prayagraj Zone

(www.arya-tv.com) सियासत में कई ऐसे नेता हैं, जिन्होंने जुर्म की दुनिया से निकलकर राजनीति में कदम रखा। लेकिन वे राजनीति में आकर भी अपनी माफिया वाली छवि से बाहर नहीं निकल पाए। उनके कारनामों ने हमेशा सुर्खियों ने उनको बनाए रखा। ऐसा ही एक नाम है माफिया अतीक अहमद का। पांच बार विधायक और एक बार सांसद बन चुका यह माफिया इस समय गुजरात जेल में बंद है। हालांकि, इससे पहले भी अतीक जेल में बंद होने के बादजूद वहीं से चुनाव भी लड़ा हैं। लेकिन जब-जब जेल से चुनाव लड़ा, कभी सफलता नहीं मिली।

वर्ष 1979 में अतीक अहमद पर हत्या का पहला मामला दर्ज हुआ था। उस समय अतीक की उम्र 17 वर्ष थी। इतनी कम उम्र में हत्या का मुकदमा दर्ज होने के बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जरायम की दुनिया में वह देखते ही देखते इतना आगे निकल गया कि पूर्वांचल से लेकर हर तरफ उसकी तूती बोलनी लगी। 1989 में राजनीति का रुख किया और शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से मैदान में उतरा। इसमें जीत भी दर्ज की। इसके बाद 1991 और 1993 का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा और जीता। 1996 में इसी सीट पर अतीक को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया और वह फिर से विधायक बन गया। 2002 में अपना दल से शहर पश्चिमी से मैदान में उतरा और जीत हासिल की।

2004 में फूलपुर लोकसभा सीट से सपा ने अतीक को टिकट दिया और वह दिल्ली पहुंच गया। इसी वर्ष शहर पश्चिमी की सीट पर उपचुनाव हुआ, जिस पर माफिया के भाई अशरफ को बसपा उम्मीदवार राजू पाल ने हराया ही नहीं बल्कि अतीक के उस किले को ढहा दिया जिस पर वर्षों से उसका कब्जा था। इसके बाद माफिया की जमीन खिसकती गई। 2007 में सत्ता बसपा सुप्रीमो मायावती के हाथ में आ गई। माफिया पर ताबड़तोड़ मुकदमे दर्ज हुए। सांसद होते हुए भी अतीक अहमद भूमिगत हो गया। उस पर बीस हजार का इनाम भी घोषित कर दिया गया।

कुछ समय बाद नाटकीय ढंग से अतीक अहमद को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बाद में वह नैनी जेल आ गया। जेल में रहते हुए उसने वर्ष 2009 में अपना दल के टिकट से प्रतापगढ़ सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन पराजित हो गया था। जेल में रहते हुए वर्ष 2012 में अपना दल के टिकट से शहर पश्चिमी विधानसभा से चुनाव लड़ा। सभा के लिए न्यायालय से उसे पैरोल भी मिल गई थी। रोशनबाग में उसने सभा की थी, लेकिन उसे पराजय का ही सामना करना पड़ा था।

वर्ष 2018 में फूलपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। उस समय माफिया अतीक अहमद देवरिया जेल में बंद था। जेल में रहते हुए उसने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया, लेकिन इस बार भी उसे शिकस्त ही मिली। देवरिया जेल में रहते हुए वर्ष 2019 में वाराणसी लोकसभा सीट से निर्दलीय के रूप में माफिया के वकील ने नामांकन पत्र दाखिल किया था। लेकिन प्रचार के लिए माफिया को न्यायालय से पैरोल न दिए जाने पर अतीक अहमद ने अपने कदम वापस खींच लिए थे।