जानिए लूप लाइन में जाते समय कितनी होती है ट्रेन की स्‍पीड, और सिग्रल का रंग

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www.arya-tv.com) उड़ीसा के बालासोर में हुए रेल हादसे में इंटरलॉकिंग और सिगनलिंग की बात जोरशोर से चल रही है, जो हादसे की संभावित वजह बताई जा रही है, क्योंकि सिग्नल ग्रीन था और ट्रेन लूप लाइन में चली गई, इसकी वजह इटरलॉकिंग बताई जा रही है। आम आदमी की जिज्ञासा होगी कि यह सिग्‍नलिंग और इंटरलॉकिंग क्या होता है।

इसी तरह के और सवाल उठ सकते हैं कि जब ट्रेन को थ्रू यानी सीधा जाना होता है तब किस रंग का सिग्नल होना चाहिए और जब ट्रेन लूप लाइन में जाती है, तब किस रंग सिग्नल और स्पीड कितनी होनी चाहिए। सिगनलिंग और इंटरलॉकिंग से जुड़े तमाम सवालों के जवाब दे रहे हैं रेलवे बोर्ड के रिटायर मेम्बर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदीप कुमार, क्योंकि सिगनलिंग और इंटरलॉकिंग इसी विभाग में आता है।

बालासोर ट्रेन हादसे के समय उसका सिग्‍नल हरा था, यानी कोरोमंडल एक्सप्रेस को थ्रू यानी सीधा जाना था और इसी वजह से उसकी स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटे थी, लेकिन ट्रेन थ्रू न जाकर लूप लाइन में चली गई और हादसा हो गया।

प्रदीप कुमार बताते हैं कि सामान्‍य तौर पर दो मेन लाइन और दो लूप लाइन होती हैं। जिस ट्रेन को सीधा जाना होता है, वे मेन लाइन से निकलती हैं और उस समय अगर कोई दूसरी ट्रेन मेन लाइन पर है तो उसे लूप लाइन में भेज दिया जाता है, लेकिन ट्रेन को लूप लाइन में भेजने से पहले यह सुनिश्चित कर लिया जाता है कि लूप लाइन में कोई दूसरी ट्रेन न खड़ी हो।