चीन के बीआरआई से इटली की जार्जिया मेलोनी ने किया किनारा, ड्रैगन की चाल फेल, भारत के लिए क्‍यों खुशखबरी?

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(www.arya-tv.com) साल 2013 में लॉन्‍च किए गए चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के ड्रीम प्रॉजेक्‍ट बेल्‍ट एंड रोड को अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा है। इटली ने चीन के बीआरआई प्रॉजेक्‍ट से खुद को अलग कर लिया है।करीब 4 साल पहले इटली ने बीआरआई में शामिल होने का फैसला किया था।

इटली जी7 का एकमात्र देश था जो चीन के बीआरआई प्रॉजेक्‍ट में शामिल हुआ था। मात्र 4 साल में ही इटली का चीन के कर्ज का जाल कहे जाने वाले इस अरबों डॉलर के प्रॉजेक्‍ट से मोहभंग हो गया। इटली की प्रधानमंत्री जार्जिया मेलोन की सरकार ने बीआरआई से अलग होने का ऐलान कर दिया।

उन्‍होंने आरोप लगाया है कि चीन के राजनीतिक प्रभाव को हासिल करने के लिए पिछली सरकार ने इस समझौते पर हस्‍ताक्षर किया था। वहीं विश्‍लेषकों का कहना है कि इटली का यह फैसला भारत के लिए बड़ी खुशखबरी है। आइए समझते हैं…

अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो इटली की अर्थव्यवस्था के लिए चीन की BRI परियोजना बहुत अधिक प्रभावी साबित नहीं हुई है। इससे इटली के निर्यात में वृद्धि बहुत सीमित रही है।

रिपोर्टों के अनुसार, बीआरआई में शामिल होने के बाद इटली से चीन को निर्यात 14.5 बिलियन यूरो से बढ़कर 18.5 बिलियन यूरो हो गया, लेकिन चीन के लिए यह संख्या काफी अच्‍छी है क्योंकि इटली को बीजिंग का निर्यात 33.5 बिलियन यूरो से बढ़कर 50.9 बिलियन यूरो हो गया।

विदेशी मामलों के विशेषज्ञ प्रफेसर हर्ष वी पंत का मानना है कि यह फैसला चीन के लिए असली संकट बनने जा रहा है।पंत कहते हैं कि चीन और यूरोपीय देशों में विश्‍वास की कमी बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। अब यूरोप के देश चाहते हैं कि वे चीन के साथ अपनी शर्तों पर बातचीत करें और डील करें।

अब तक इटली को चीन के प्रति सबसे ज्‍यादा सहानुभूति रखने वाला देश माना जाता था। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की चाल थी कि यूरोप और अमेरिका के बीच फूट डाली जाए ताकि वह अपने आर्थिक संकट के बीच उनसे आसानी से निपट सके।

पंत कहते हैं कि चीन ने सबसे पहले यूरोप और अमेरिका के बीच मतभेद पैदा करने की पूरी कोशिश की लेकिन उसका यह फेल रही। अब चीन यह कोशिश कर रहा है कि वह किस हद तक यूरोप के साथ काम कर सकता है ताकि वह अपनी धीमी पड़ती अर्थव्‍यवस्‍था को गति दे सके।

बीआरआई को बंद करने का फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब भारत और इटली उच्चतम स्तर पर अपनी भागीदारी को स्पष्ट रूप से बढ़ा रहे हैं। भारत चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआई से बाहर निकलने के इटली के फैसले से इसलिए खुश होगा क्योंकि यह सीपीईसी के रूप में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है।

भारत ने इस सीपीईसी परियोजना का शुरुआत से ही विरोध किया है। यह घटनाक्रम इटली के साथ भारत के अच्छे संबंधों को दर्शाता है जो आंकड़ों में भी दिखाई देता है।