चांद से क्या लाने की कर रहा तैयारी- ISRO ने बताया

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(www.arya-tv.com) चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से दोबारा भले ही संपर्क स्थापित न हो पाया हो लेकिन इसरो ने एक ऐसी खबर दी है, जो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर देगी. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मुताबिक चंद्रयान-3 तो भारत के मून मिशन की झांकी भर थी. एजेंसी अगले मिशन की तैयारी में भी जुट गई है. इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह से पृथ्वी तक सैंपल लाना होगा.

ISRO ने क्या-क्या कहा? इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने जिस तरीके से चांद की सतह पर शॉफ्ट लैंडिंग की, वह अगले मिशन का आधार बनने जा रहा है. इसी एक्सपेरिमेंट के आधार पर इसरो अब अगले मिशन की तैयारी कर रहा है. अगला मिशन इस तरीके से डिजाइन किया जाएगा, ताकि चांद की सतह पृथ्वी तक सैंपल लाया जा सके.

चांद पर अगला मिशन कब? तो इसरो चंद्रमा पर अगला मिशन कब भेजेगा? इस सवाल के जवाब में इसरो के अधिकारी कहते हैं कि अभी इसकी कोई टाइमलाइन तय नहीं है, लेकिन एजेंसी अपने सिस्टम को इस तरीके से तैयार कर रही है कि चंद्रमा पर लैंडिंग के बाद वहां से रिटर्न फ्लाइट आ पाए. चंद्रयान-3 की लैडिंग के बाद चांद की सतह पर हॉप एक्सपेरिमेंट इसी प्लान का एक छोटा सा हिस्सा था.

आखिर क्या है हॉप टेस्ट? चंद्रमा की सतह पर सफलता पूर्वक लैंडिंग के बाद इसरो ने 3 सितंबर को चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की दोबारा सॉफ्ट लैंडिंग कराई थी. इसी को हॉप टेस्ट कहते हैं. इस एक्सपेरिमेंट के दौरान विक्रम ने अपने इंजन से दोबारा रॉकेट फायर किया और करीब 40 सेंटीमीटर तक ऊपर गया. फिर सुरक्षित तरीके से लैंड किया.

वैज्ञानिकों के मुताबिक भविष्य में चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के बाद वहां से पृथ्वी पर वापस आने के लिए हॉप टेस्ट महत्वपूर्ण पड़ाव था. अभी तक चुनिंदा देश ही इसमें सफल हो पाए हैं. इसरो के मुताबिक हॉप टेस्ट के दौरान लैंडर विक्रम केरैंप, ILSA जैसे उपकरण, फोल्ड करके री-डिप्लॉय किए गए और सब कुछ वैसे ही हुआ जैसा वैज्ञानिक चाहते थे. यह बहुत महत्वपूर्ण कामयाबी थी.