बलि का बकरा बने ISI के चीफ फैज, महंगी पड़ी है तालीबान की चाय

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(www.arya-tv.com) अब पाक‍िस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के चेहते पाकिस्तान के इंटेलिजेंस चीफ (आइएसआइ) फैज हमीद की विदाई को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इसमें एक बड़ा फैक्‍टर अमेरिका भी है। हालांकि, यह कहा जा रहा है कि पाकिस्‍तान के आर्मी चीफ जनरल कमद जावेद बाजवा के उनके मतभेद और बिना मंजूरी के काबुल जाने के कारण उन्‍हें इस पद से हटाया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आइएसआइ चीफ फैज पिछले महीने बाजवा की मंजूरी लिए बगैर काबुल गए थे।

फैज के इस कदम से अमेरिका समेत कई मुल्‍कों में पाक‍िस्‍तान की किरकिरी हुई थी। यह भी आरोप लगा कि पाकिस्‍तान की फौज और हुकूमत तालिबान को सहयोग कर रही है। आइए जानते हैं कि फैज के हटने में अमेरिका की क्‍या भूमिका रही है।

अमेरिका की आड़ में बाजवा ने निकाली खुन्‍नश

प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि पाकिस्‍तान सेना के प्रमुख बाजवा और फैज के बीच चला आ रहा गतिरोध आइएसएआइ प्रमुख पर भारी पड़ा। फैज इमरान के चहेते थे, इसलिए बाजवा उनको हटाने के लिए एक ठोस मौका खोज रहे थे।

अफग‍ानिस्‍तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद फैज की काबुल यात्रा के दौरान बाजवा के हाथ एक सुनहरा अवसर मिल गया। फैज की काबुल यात्रा उनके लिए महंगी पड़ी। फैज की इस यात्रा पर अमेरिका ने भी अपनी गहरी आपत्ति दर्ज की थी। इसके पूर्व अमेरिका ने कहा था कि तालिबान सरकार के गठन में पाकिस्‍तान बड़ी भूमिका अदा कर रहा है।

उस वक्‍त भी अमेरिका ने पाक को सख्‍त संदेश दिया था। यूएस ने कहा था कि इसका खामियाजा पाक को भुगतना पड़ेगा। पाकिस्‍तान और तालिबान के संबंधों को लेकर अमेरिकी सीनेट में एक बिल भी पेश किया गया है। इस बिल को लेकर पाक तिलमिलाया है।

अमेरिकी सीनेट में पाक के खिलाफ पेश हुआ बिल

हाल में अमेरिकी सीनेट में पेश इस बिल से पाकिस्‍तान बेचैन है। दरअसल, सीनेट में यह बिल रिपब्लिकन पार्टी के 22 सीनेटर्स ने पेश किया है। यह बिल अफगानिस्‍तान में अमेरिका के आतंकवाद निरोधी अभियान और उसकी जवाबदेही के लेकर है।

इस विधेयक में बाइडन प्रशासन से अफगानिस्‍तान से अमेरिकी फौज को तेजी से निकालने के फैसले पर जवाब मांगा गया है। दूसरे, अफगानिस्‍तान में पाकिस्‍तान की भूमिका की जांच की मांग की गई है। बिल की दूसरी मांग से पाकिस्‍तान बेचैन है।

इस बिल में यह मांग की गई है कि अफगानिस्‍तान के तालिबान में नियंत्रण से पहले और बाद में पाकिस्‍तान की भूमिका की स्‍वतंत्र जांच की जाए। इसके साथ पंजशीर घाटी में तालिबान के हमले को लेकर भी पाकिस्‍तान की जांच कराने की मांग की गई है।