क्या बाउंसर पुलिस पर भारी है?

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विपुल लखनवी ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत

  • क्या बाउंसर पुलिस पर भारी है?

केंद्र और राज्य सरकार को नियम बनाना चाहिए कि बाउंसर कौन रख सकता ओर कौन नही ओर कब लेकर चल सकता साथ। भारतीय संविधान में इससे संबंधित भी किसी धारा का उल्लेख अवश्य होना चाहिए।

अभी कुछ दिन दिन पहले एक बलात्कारी मर्डर करने वाले पादरी जो हिन्दू से ईसाई बना था। उसकी पेशी मोहाली कोर्ट में हुई थी। देखनेवाले था दर्षक तब हैरान रह गए जब वह बलात्कारी आरोपी न्यायालय में आया तो 50 से 100 के लगभग बाउंसर, 10 गाड़ियों में साथ आए। वे न्यायलय में जनता को धक्का ऐसे मार रहे थे जैसे मोदी जी या जोय बाइडेन या चीफ जज आया हो । हैरानी की बात सड़क पर हूटर पर हूटर पर कोई पुलिस वाला बोलने की हिम्मत हो तो बोलकर देखे ।

पुलिस सिक्योरिटी दी हुई थी उस पादरी को जो पंजाब से सिख ओर हिन्दू को नशे, सेक्स, लालच, अफीम, स्मैक देंकर, विदेश भेजने, बड़ी से बड़ी बीमारी ठीक करके के लालच देकर खत्म कर रहा था। लूट रहा था।

क्या AAP सरकार ईसाइयों को प्रमोट कर रही है पंजाब में ये बहुत बड़ा जांच का विषय है? जिसे केंद्र और पंजाब पुलिस दोनों इग्नोर कर रही जबकि धीरे धीरे ये सरकारी बाबुओं को भी ईसाई बना रहे हैं।

सरकारी अफसर, होटल, जुआ खिलाने वाले, सट्टेबाज, बुकिबाज, हुक्का बार,बार वाले आदि अब बाउंसर रखकर जनता को दबाने, डराने लगे है जिसके चलते कानून और जनता दोनों खतरे में आते हैं। इसीलिए हफ्ता, मर्डर, तानाशाही बड़ी तेजी से बढ़ी है। और कल ये बाउंसर पुलिस जांच एजेंसियों पर भी भारी पड़ेंगे ।