- विपुल सेन ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत
कोपर खैराने। नवी मुंबई। कोपर खैराने स्थित ग्रामीण आदिवासी रिसर्च एंड वैदिक इनोवेशन ट्रस्ट यानी गर्वित प्राचीन भारतीय धरोहर को और सनातन के ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के माध्यम से प्रचार और प्रचार करने में निरंतर अग्रसर हो रही है।
इसी कड़ी में गर्वित ने कई अन्य संस्थाओं के साथ सहयोग किया है जो सनातन ज्ञान के प्रचार प्रसार को आगे ले जाने का काम करती हैं। गर्वित का महावाक्य यही है की सनातन के प्रचार प्रसार के समर्पित प्रत्येक व्यक्ति को अपने साथ जोड़ना है। इसी संदर्भ में गीता ज्ञान को जनमानस तक पहुंचाने के लिए एक संस्था के साथ सहयोग आरंभ किया है। जिसमें इच्छुक और जिज्ञासु घर बैठे ऑनलाइन के द्वारा गीता के विषय में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। यद्यपि यह भी सही है गीता मनुष्य की सोच के हिसाब से समाज के कल्याण के भाव के अनुसार अपने अर्थों को परिवर्तित भी कर सकती है। इस कारण गीता की जिज्ञासा जनमानस में हमेशा से रही है।
इस संदर्भ में गर्वित के अध्यक्ष विपुल लखनवी के अनुसार श्रीमद्भभगवद्गीता अथवा सनातन के वेद ज्ञान स्वयं प्रकट होते है। इसको रटकर आप प्राप्त नहीं कर सकते। लेकिन श्रीमद्भभगवद्गीता, दुर्गा सप्तशती का पाठ, हनुमान चालीसा एवं अन्य चालीसा सिद्ध हो चुके हैं। इस कारण मनुष्य यदि बिना अर्थ जान भी इनका पाठ करता है तो एक निश्चित संख्या में पाठ होने के पश्चात इसके अर्थ और व्याख्या अपने आप प्रकट होने लगते है।
यहां पर यह भी ज्ञात हो की गीता प्रेस गोरखपुर वास्तव में सनातन रत्न है। आधुनिक समय में बेहद सस्ते मूल्य पर सनातन की विभिन्न पुस्तकों की सटीक व्याख्या गीता प्रेस गोरखपुर की पुस्तकों में मिलती है और गर्वित ने जिस संस्था से सहयोग किया है वह गीता प्रेस गोरखपुर के कार्यों में और जन सेवा में सहयोग कर रहे हैं।
इच्छुक व्यक्ति अपना नाम और मोबाइल नंबर व्हाट्सएप कर सकते हैं जिससे कि आपको उसे ग्रुप में जोड़ा जाए जहां पर आप नित्य गीता का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। विपुल लखनवी जी के अनुसार यदि आपको गीता में कहीं पर अर्थ समझने में व्याख्या समझने में जिज्ञासा उत्पन्न होती है और आपको संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता है तो आप अपना प्रश्न और जिज्ञासा विपुल जी से संदेश के माध्यम से पूछ सकते हैं। आपका सदैव स्वागत है।