भारत का ‘जुरासिक पार्क’, डायनासोर के अंडों की पूजा और तस्करी

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(www.arya-tv.com) मध्य प्रदेश के धार में ज़मीन पर घूमने वाले विशालकाय जीवों और समुद्री जीवों के अलावा करोड़ों साल पहले की वनस्पति के जीवाश्म बिखरे पड़े हैं, हाल में ही मध्य प्रदेश के इको टूरिज़्म बोर्ड की पहल पर देश भर के जाने-माने वैज्ञानिक यहाँ पहुँचे और उन्होंने पूरे इलाक़े पर शोध कर अपनी रिपोर्ट तैयार की है.

‘इको टूरिज़्म’ विभाग की मुख्य कार्यपालक अधिकारी समिता राजौरा बीबीसी से कहतीं हैं कि इस रिपोर्ट को संकलित कर यूनेस्को को भेजा जाएगा ताकि बाग और धार के बड़े इलाक़े को ‘इको हेरिटेज’ का दर्जा मिल सके और इस इलाक़े की धरोहर को संरक्षित भी रखा जा सके और शोध को भी आगे बढ़ाया जा सके.

‘सोसाइटी ऑफ़ अर्थ साइंसेज’ की रिपोर्ट के अनुसार कालखंड में पृथ्वी पर और उसके नीचे क्या कुछ हो रहा था उसके सुबूत यहाँ एक बड़े इलाक़े में बिखरे पड़े हैं, यह वही समय है जब धरती पर डायनासोर घूमा करते थे.

भूगर्भ वैज्ञानिक और पृथ्वी विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि डायनासोर की अलग-अलग प्रजातियाँ अलग-अलग समय में पैदा हुईं और समाप्त हो गईं. वो ये भी कहते हैं कि सिर्फ़ डायनासोर ही नहीं बल्कि उनसे भी बड़े ‘टाइटनोसोरस’ के भी इस इलाक़े में पाए जाने के सुबूत जीवाश्म के रूप में मौजूद हैं.