आजादी महोत्सव: क्रांतिकारियों के खून से सन गई थी मलवाबर की मिट्टी, अंग्रेजों की गोलियों से शहीद हुए थे ये जवान

Gorakhpur Zone UP

(www.arya-tv.com) महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ तो पूर्वांचल भी अछूता नहीं रहा। देशभक्ति की भावना से युवाओं में नया जोश आ गया। जगह-जगह अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन होने लगे। इसको रोकने के लिए अंग्रेजों ने कई जगह गोलियां बरसाईं। क्रांतिकारियों के खून से मलवाबर की मिट्टी  सन गई थी। इसी क्रम में 28 अगस्त 1942 को पथरदेवा विकास खंड के मलवाबर गाव में दो क्रांतिकारी रामलगन और रामानंद शहीद हो गए।

महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामवृक्ष कुंवर के नेतृत्व में मलवाबर में क्रांतिकारियों की बैठक चल रही थी। दूसरे दिन यानी 29 अगस्त को अंग्रेज सरकार को चेतावनी देने के लिए सेवरही में रेल पटरी उखाड़ने की योजना थी। मुखबिर की सूचना से तरकुलवा थाना प्रभारी शमसुद्दीन ने पुलिस फोर्स के साथ क्रांतिकारियों को चारों तरफ से घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।

क्रांतिकारियों में खलबली मच गई और पचरुखिया निवासी रामानंद और चैनपुर निवासी रामलगन वहीं शहीद हो गए। जबकि रामवृक्ष कुंवर, महावीर दुसाध, रामसिंगार मिश्र, विठ्ठन भगत और सिंघासन गिरि किसी तरह अपने प्राण बचाने में सफल रहे। 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद शहीदों के सम्मान में क्षेत्र के लोग शहीद स्थल पर दंगल आयोजित कर शहीदों को श्रद्धांजलि देते थे। 28 अगस्त 1967 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रताप सिंह ने शहीद स्मारक का उद्घाटन किया। 28 अगस्त 2002 को तत्कालीन कैबिनेट मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी ने शहीद स्मारक का जीर्णोद्धार कराया था।