आयकर विभाग ने दो करेंसी बदलने वाले कारोबारियों के घरों और दुकानों पर मारा छापा

Kanpur Zone

(www.arya-tv.com) कानपुर में आयकर विभाग (IT) की टीम ने करेंसी बदलने वाले दो कारोबारियों के घरों और दुकानों पर छापा मारा है। अब तक करीब एक करोड़ की नकदी और 25 किलो चांदी बरामद होने की सूचना है। बीते 24 घंटे से IT की कार्रवाई जारी है।

कलक्टर गंज के मोती बिल्डिंग के नीचे संजय जैन और धनीराम मार्केट शक्कर पट्टी में की दुकान है। मनोज गुप्ता की करेंसी बदलने की दुकानें हैं। उनका घर नौघडा में है। IT ने काफी ज्यादा नकदी एकत्र होने की सूचना पर उनके यहां छापा मारा है। इसमें दोनों की तीन दुकानें और 2 घरों पर छापेमारी चल रही है।

सूत्रों के अनुसार संजय जैन की दुकान से बड़ी मात्रा में कैश के साथ चांदी भी बरामद हुई है। घर की दीवारों की भी तलाशी की जा रही है। यहां से बड़ी मात्रा में गोल्ड मिलने की भी सूचना मिली है। हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि आयकर विभाग के अधिकारियों की तरफ से नहीं की गई है।

आयकर विभाग के अधिकारी घर और दुकानों पर मिले कैश को दो बड़े झोले और एक बड़ी अटैची में जब्त कर साथ ले गए हैं। संजय जैन कैश की कोई भी जानकारी नहीं दे सके, जिसके बाद कैश को आयकर विभाग ने जब्त कर लिया। कैश में बड़ी संख्या में 20, 10, 50, 100 और 500 के नए नोट शामिल हैं।

कानपुर का नयागंज, कलक्टरगंज, शक्करपट्टी बाजार करेंसी बदलने के मामले में यूपी का बड़ा गढ़ माना जाता है। क्योंकि यहां मेवा और मसालों का बड़ा कारोबार है। यहां पूरे प्रदेश से व्यापारी आते हैं। ऐसे में व्यापारी भी बड़ी मात्रा में यहां सड़े-गले, कटे-फटे नोट बदल कर ले जाते हैं।

व्यापारियों के मुताबिक, नई करेंसी देने के नाम पर मोटा कमीशन यहां वसूला जाता है। 10 हजार रुपए के नए नोट के बदले 300 से 500 रुपए तक कमीशन लिया जाता है। शुभ कार्यों में नए नोट की जरूरत वाले लोग यहां बड़ी संख्या में आते हैं। रेड में बड़ी मात्रा में नए नोट की गडि्डयां बरामद हुई हैं। ये शादी-ब्याह के सीजन में कमीशन लेकर देने के लिए मंगाई गई थीं।

कानपुर के पुराने बाजारों में हवाला कारोबार भी कई बार पकड़ा जा चुका है। इतनी बड़ी संख्या में कैश बरामद होने के बाद अधिकारी इस एंगल में भी जांच कर रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी मात्रा में बरामद कैश का सोर्स क्या है। इसके अलावा व्यापार में कैश का लेनदेन कैसे और कहां-कहां होता है। रेड की सूचना के बाद इस व्यापार से जुड़े सभी कारोबारी अंडरग्राउंड हो चुके हैं।