मैं एक जज होकर भी नहीं लड़ पाई, पढ़ें महिला जज की ‘इच्छामृत्यु’ चिट्‌ठी

# ## Lucknow

(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश की एक महिला जज ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) से लेटर लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है। महिला जज ने एक जिला जज पर शोषण करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। साथ ही अपनी मजबूरी बयां करते हुए लिखा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक उन्हें कहीं भी न्याय नहीं मिला।

इस मामले के सामने आते ही यूपी समेत पूरे देश में न्याय व्यवस्था के अंदर ही महिला की सुरक्षा पर बड़ी बहस शुरू हो गई है। वहीं दूसरी तरफ महिला जज ने अपने लेटर में देश भर की सभी कामकाजी महिलाओं को शारीरिक शोषण के साथ जिंदगी जीने की आदत डाल लेने के लिए कहा। साथ ही कहा कि पॉक्सो एक्ट भी एक झूठ है।

महिला जज ने सीजेआई लेटर लिखा, ‘मैं बहुत उत्साह के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई थी। मुझे लगा था कि आम लोगों को न्याय दिलाऊंगी। हालांकि मुझे नहीं पता था कि एक दिन खुद ही हर दरवाजे पर न्याय की भीख मांगनी पड़ेगी। मेरे साथ शारीरिक शोषण किया गया।

मुझे कूड़े की तरह ट्रीट किया गया।’ उन्होंने आगे लिखा है, ‘मैं भारत की सभी कामकाजी महिलाओं से कहना चाहती हूं कि शारीरिक शोषण के साथ जीना सीख लें। यही सच्चाई है। पॉक्सो एक्ट एक बड़ा झूठ है।

8 सेकेंड में जज की याचिका खारिज!

महिला जज ने आगे कहा, ‘अगर शिकायत करेंगे तो प्रताड़ित किए जाएंगे। इसकी शिकायत सुप्रीम कोर्ट तक नहीं सुनेगा। आपको वहां सुनवाई के लिए 8 सेकेंड मिलेंगे। फिर अपमान और धमकी मिलेगी। तुम्हें आत्महत्या करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

अगर आप भाग्यशाली होंगे तो ये प्रयास पहली बार में सफल होगा। उन्होंने लिखा, ‘ कोई महिला सोचती है कि वो सिस्टम के खिलाफ लड़ेंगी तो बता दूं, मैं एक जज होकर भी नहीं लड़ पाई। न्याय की बात छोड़िए। मैं सभी महिलाओं को सलाह देती हूं कि वे खिलौना या कोई निर्जीव वस्तु बनना सीख लें।’

महिला जज को रात में मिलने को कहा

उन्होंने लिखा, ‘एक जिला जज ने उनका शारीरिक शोषण किया। जज से मुझे रात में मिलने को कहा गया। मैंने इलाहाबाद हाई कोर्ट मुख्य न्यायाधीश से 2022 में शिकायत की आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

किसी ने ये पूछने की जहमत नहीं उठाई कि आप परेशान क्यों हैं? मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरी शिकायतों और बयान को इस तरह लिया जाएगा। मैं बस एक निष्पक्ष जांच चाहती थी।’

आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं किया विचार

महिला जज ने लिखा है, ‘मैंने सोचा शायद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। मुझे क्या पता था कि रिट याचिका महज 8 सेकेंड में खारिज कर दी जाएगी। वो भी मेरी प्रार्थना पर बिना कोई विचार किए सिर्फ एक शब्द बोल दिया गया, डिसमिस।

मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरी लाइफ, गरिमा और आत्मा एक झटके में खत्म कर दिया गया हो। ये मुझे व्यक्तिगत अपमान जैसा लगा।’