नाम अवध महोत्सव : मूल और ठेठ अवधी के अलावा बाकी सब कुछ

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(www.arya-tv.com) लखनऊ के एस एनए में चल रहे वाजिद अली शाह अवध महोत्सव के दूसरे दिन कार्यक्रमों की भरमार रही। एक ओर एकेडमी परिसर में रंगारंग कार्यक्रम और कॉम्पिटिशन आयोजित हुए।

वहीं एकेडमी के बाहर पतंग बाजी कॉम्पिटिशन का दूसरा राउंड हुआ। महोत्सव के दूसरे दिन इतिहास कार रवि भट्ट ने सुबह हैरिटेज वाक में पार्टिसिपेट को रेजिडेन्सी से रूबरू कराया। शाम को हुए पपेट शो में मुंशी प्रेम चंद की कहानी पंच परमेश्वर देखने को मिली।

हैरिटेज वॉक से हुई शुरुआतअवधी परिधान कॉम्पिटिशन हुआ आयोजित

महोत्सव के दूसरे दिन की शुरुआत हैरिटेज वाक से हुई। जिसमें मशहूर इतिहास कार रवि भट्ट ने पार्टिसिपेंट्स को रेजिडेन्सी घुमाई। उन्होंने बेली गारद के गेट से लेकर नेटिव हाउस, दावत खाना, मार्टिनियर पोस्ट, कबिस्तान तक के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने बताया कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में पूरे शहर में हिन्दुस्तानियों का कब्जा हो चुका था। केवल रेजीडेंसी पर ही अंग्रेज को कब्जा था।

दोपहर में एकेडमी परिसर में अवधी परिधान कॉम्पिटिशन की शुरुआत हुई। पहले दिन 15 से 25 आयु वर्ग के महिलाओं और पुरुष ने इसमें भाग लिया। प्रतियोगिता में महिलाओं ने सीधे पल्ले की चटक रंग की साड़ी पहनी। तो वहीं पुरुषों ने धोती कुर्ता व शेरवानी पहने। संयोजक निधि श्रीवास्तव ने बताया कि प्रतियोगिता का फाईनल महोत्सव के आखिरी दिन 22 मार्च को होगा। सोमवार को 3 बजे से 26 से 35 साल तक के प्रतिभागियों को चयन किया जाएगा।

शाम को सजी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की महफिल

शाम को महोत्सव में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। जिसकी शुरुआत कथक नृत्यांगना जोड़ी नेहा सिंह मिश्रा-कांतिका मिश्रा ने करी। उन्होंने शिव वंदना के बाद लयकारी, चक्कर, हस्त और पांव के संचालन से दर्शकों का दिल जीता। लखनऊ की लोक गायिका शिखा भदौरिया ने गीत ‘मैया चलो दियना बार’ और ’बलम लखनऊवा मिले से श्रोताओं की तारीफ बटोरीं।

फिर गायक कालूराम बमानिया ने कबीर दास के भजनों को गाकर माहौल को अलग दिशा दी। आखिर में बॉलीवुड सिंगर ऐशवर्या पंडित ने बेगम अख्तर की लोकप्रिय गजल ’आज जाने की जिद न करो’ से श्रोताओं की तालियां बटोरीं। जिसके बाद उन्होंने सूफियाना कलाम ‘दमादम मस्त कलंदर’ गाया।