नगर निगम लखनऊ अंतर्गत रह रहे श्वानों/ कुत्तों की सुरक्षा व उनकी देख रेख हेतु भी भारतीय पशु जन्म नियंत्रण नियम के तहत कार्य किये जाने के दृष्टिगत नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह की अध्यक्षता में आज एच. एस. आई.( ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल इंडिया) एवं वॉर रूम के कर्मचारियों व निगम के अन्य अधिकारियों के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
उक्त प्रशिक्षण में सोसाइटी के लोगों द्वारा बताया गया कि जिन्हें हम आवारा या पागल कुत्ते कहकर बुलाते हैं और उनके साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं, ये कानूनी अपराध है और ये कोई पागल या आवारा नही बल्कि स्ट्रीट डॉग्स हैं।
उक्त प्रशिक्षण में इन श्वानों के दृष्टिगत किये जा रहे कार्यों की विधिवत जानकारी से अवगत कराया गया।एचएसआई के अधिकारियों ने स्ट्रीट डॉग कल्याण कानून इत्यादि की जानकारी के बारे में निम्नवत रूप से बताया:-
1. हमारा लक्ष्य 5-7 वर्षों की अवधि के भीतर शहर के 80-85% स्ट्रीट डॉग्स की आबादी का बंध्याकरण और टीकाकरण करना है।
2. हम स्ट्रीट डॉग्स की जरूरतों के बारे में उन्हें संवेदनशील बनाने और मनुष्यों और कुत्तों के बीच अधिक शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को सक्षम करने के लिए समुदायों में जागरूकता पैदा करते है।
3.हम असाइन किए गए ज़ोन की गली से बिना बंध्याकरण किए और बिना टीकाकरण बाले कुत्तों को एनिमल बर्थ कंट्रोल सुविधा में लाते हैं।
4. हमारे पशु चिकित्सक बंध्याकरण करते हैं और उन्हें रेबीज का टीका देते हैं।
5. जब कुत्ते ऑपरेशन के बाद की देखभाल के बाद सर्जरी से ठीक हो जाते हैं, तो एबीसी नियमों के अनुसार, उन्हें ठीक उसी स्थान पर लौटा दिया जाता है, जहां से उन्हें उठाया गया था।
6. हम कार्यक्रम के बारे में जागरूकता पैदा करने और प्रक्रिया में उन्हें शामिल करने के लिए समुदायों, व्यक्तियों और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम करते हैं।
7. सड़क के कुत्तों को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (पीसीए), 1960 और पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 के तहत संरक्षित किया गया है। उन्हें पीटा नहीं जा सकता, मारा नहीं जा सकता, भगाया नहीं जा सकता, या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। एक बार जब वे कम से कम 4 महीने के हो जाएं तो नसबंदी और टीकाकरण की अनुमति दी जाती है और उसके बाद उन्हें उनके मूल स्थानों पर लौटा दिया जाता है
8.जानवरों को मारना, अपंग करना, जहर देना या बेकार कर देना दंडनीय अपराध है। भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 428 के तहत, अपराधियों को दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
9. किसी जानवर को छोड़ना और भूख या प्यास के कारण उसे पीड़ा पहुंचाना पीसीए अधिनियम, 1960 की धारा 11 (i) के तहत दंडनीय अपराध है।
10.कानूनों का उल्लंघन करने पर जुर्माना और/या पांच साल तक की जेल हो सकती है।
उक्त के अतिरिक्त अभी तक नगर में लगभग 77500 मादा श्वानों की एबीसी/नसबंदी करवाई जा चुकी है।साथ ही लगभग 85000 से अधिक श्वानों का एआरवी/टीकाकरण करवाया गया है।
उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में पंकज श्रीवास्तव, अपर नगर आयुक्त जी, अभिनव वर्मा, प्रभारी अधिकारी(वॉर रूम) वॉर रूम के ऑपरेटर कर्मचारी एवं एचएसआई के सहायक प्रबंधक दिव्यांशी पांडे, प्रोजेक्ट मैनेजर डॉ राजेश पांडे सहित कम्युनिटी इंगेजमेंट टीम के मनीष पांडे एवं ऋतु सिंह व अन्य मौजूद रहे।