टिकैत के ट्रैक्टर हाइवे पर करेंगे कब्जा, हरिद्वार से गाजीपुर तक हुंकार भरेंगे किसान, प्रशासन अलर्ट

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(www.Arya Tv .Com) भारतीय किसान यूनियन 26 फरवरी को ट्रैक्टरों के सहारे एक बार फिर अपनी ताकत दिखाएगी. दिल्ली देहरादून नेशनल हाइवे पर ट्रैक्टर श्रृंखला बनाकर किसान सरकार के खिलाफ हुंकार भरेंगे और अपनी ताकत का एहसास कराएंगे. इसको लेकर बीकेयू ने पिछले कई दिनों से ताकत झोंक रखी है. किसानों के इस आंदोलन को लेकर पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन आज हल्ला बोल करेगी. हरिद्वार से गाजीपुर बॉर्डर तक किसान ट्रैक्टरों की श्रंखला बनाएंगे. दिल्ली देहरादून नेशनल हाइवे पर ट्रैक्टर दिल्ली की तरफ मुंह करके खड़ा करेंगे. नेशन हाइवे की लेफ्ट हैंड की एक लेन में ट्रैक्टर खड़े किए जाएंगे. सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे तक दिल्ली देहरादून नेशनल हाइवे पर किसानों का कब्जा होगा. किसानों ने एलान कर दिया है कि लड़ाई आर पार की होगी.

हर जिले में बनाए गए हैं कई-कई प्वाइंट
भारतीय किसान यूनियन ने सोमवार को बनने वाली ट्रैक्टर श्रंखला को लेकर हर जिले में कई कई प्वाइंट बनाए हैं. मुजफ्फरनगर में 8, मेरठ में 4, गाजियाबाद में भी 4 प्वाइंट बनाए हैं. किसानों से कह दिया गया है कि गांव में एक भी ट्रैक्टर नहीं रहना चाहिए, सभी ट्रैक्टर हाइवे पर नजर आने चाहिए. किसान ट्रैक्टर श्रंखला बनाकर सरकार से अपनी नाराजगी जताएंगे और ये भी बताने की कोशिश करेंगे कि किसान गुस्से में हैं कभी भी बड़े आंदोलन का एलान हो सकता है.

राकेश टिकैत संभालेंगे तीन जिलों की कमान

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत तीन जिलों की कमान संभालेंगे. सुबह 11 बजे मुजफ्फरनगर में नेशनल हाइवे की एक लेन पर कब्जा करने के बाद टिकैत मेरठ के लिए रवाना हो जाएंगे और मेरठ के कई प्वाइंट पर रुककर अपनी आवाज बुलंद करेंगे, जिसके बाद राकेश टिकैत फिर गाजियाबाद के लिए रवाना हो जाएंगे. एमएसपी, स्वामीनाथन की रिपोर्ट, किसानों से किए गए सरकार के वादे सहित कई मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा एक के बाद एक आंदोलन कर रहा है.

टिकैत के टैक्टर आज सोमवार को नेशनल हाइवे की एक लेन पर कब्जा कर लेंगे. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि दिल्ली हमसे दूर नहीं है और हमारे टैक्टर की जद में है, ट्रैक्टरों को दिल्ली जाने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. सरकार को किसानों की बात माननी ही पड़ेगी. आंदोलन के सिवाय कोई चारा नहीं है और आंदोलन बड़ा करना ही पड़ेगा. या तो सरकार मान जाए या बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहे.