नवी मुंबई कोपरखैराणे स्थित ग्रामीण आदिवासी रिसर्च एंड वैदिक इनोवेशन ट्रस्ट यानी गर्वित द्वारा कर्नाटक के रामनगर स्थित डिवाइन यूफोरिया में प्रस्तावित शिवोम् तीर्थ गर्वित शोध केंद्र में शिव एवं शक्ति के अलग-अलग मंडपम की स्थापना की गई। गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर मंडपम का पूजन किया गया एवं गणपति के विग्रह की स्थापना की गई। गणपति के इस विग्रह को महालक्ष्मी मंदिर में बाद में ओम के स्थान पर महाकाली महामाया एवं महा सरस्वती के साथ स्थापित कर दिया जाएग। इस स्थान पर भगवान श्री कृष्णा शिव और मां काली की मूर्तियों की स्थापना होगी। ज्ञात हो अपनी स्थापना से अब तक गर्वित भारतीय संस्कृति एवं पर्यावरण से ही संबंधित विभिन्न आयामों के माध्यम से समाज की सेवा करता रहा है। जिसमें भोजन वितरण, वस्त्र वितरण, निर्धन छात्रों को स्कॉलरशिप, वृक्षारोपण, भारतीय संस्कृति और ज्ञान से संबंधित विभिन्न राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं रहीं हैं।
कर्नाटक के रामनगर स्थित डिवाइन यूफोरिया में शिवोम् तीर्थ गर्वित शोध केंद्र की स्थापना हेतु भूमि खंड की व्यवस्था की गई है। आने वाले समय में इसमें विभिन्न भारतीय संस्कृति से संबंधित अन्य शक्तिपुंज की स्थापना भी की जाएगी और शुद्ध वैदिक रूप में शोध किए जाएंगे। उसमें आदिशक्ति आदिशिव एवं श्री हरि विष्णु की मूर्तियों की स्थापना के साथ सृष्टि के निर्माण को समझाने का प्रयास किया जाएगा। गर्वित के संस्थापक अध्यक्ष विपुल लखनवी जी ने अपना विश्वास प्रकट करते हुए बताया कि यदि इस विग्रह में कोई भी व्यक्ति आधे घंटे के लगभग ध्यान में बैठेगा तो उसको सनातन की शक्ति का एहसास निश्चित रूप से हो जाएगा। साथ ही विभिन्न मूर्तियों के स्पॉन्सरशिप हेतु जनता से अपील की गई है। मंदिर और शोध केंद्र के निर्माण में जो जन सहायक होंगे उनका नाम सदैव के लिए पत्थरों पर अंकित होकर अमर हो जाएगा। ज्ञात हो विपुल लखनवी जी पूर्व परमाणु वैज्ञानिक है और अपने आध्यात्मिक अनुभवों को जनमानस तक पहुंचाने हेतु अपने पेंशन फंड के माध्यम से शोध केंद्र की स्थापना कर रहे हैं। दानदाताओं के नाम गर्वित की वार्षिक रिपोर्ट में विस्तार पूर्वक दिए जाते हैं।
कुल मिलाकर अभी तक ग्राम देवता, पंच महाभूत विग्रह, नवग्रह विग्रह, बाबा काल भैरव एवं श्री गणपति की स्थापना हो चुकी है। कुछ लोग जो निर्माणाधीन विग्रह में ध्यान करने आए तो उन्होंने अपने साथ उत्पन्न रोमांच के विषय में अनुभव के विषय में भी बताया। दोनों मंडपम का निर्माण हो रहा है। जिनमें शिवलिंग और दूसरे में महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली नवार्ण मंत्र के रूप में स्थापित की जाएगी। इसके अतिरिक्त दोनों मंडपम के मध्य में शिव कृष्ण और मां काली की स्थापना की जाएगी। जिसके सामने शक्ति स्थान बनाकर नास्तिकों को भी ध्यान के माध्यम से अनुभव की चुनौती दी जाएगी। विपुल लखनवी जी के अनुसार आने वाले समय में यह केंद्र निश्चित रूप से सनातन ज्ञान और विज्ञान के क्रम में मील का पत्थर साबित होगा। शिव मंदिर के मंडप का नाम योगेंद्र मंडपम् एवं मंदिर का नाम तत्वेश्वर महादेव मंदिर प्रस्तावित किया गया है। वही शक्ति मंदिर का नाम महालक्ष्मी मंदिर एवं मंडपम का नाम सौभाग्य मंडपम् निर्धारित किया गया है।