कनाडा में 20 सितंबर से चुनाव शुरु, आम जनता कई मुद्दों पर है नाराज

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(www.arya-tv.com) कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 15 अगस्त को जब मध्यावधि यानी मिड टर्म चुनाव का ऐलान किया था, तब ये सोचा था कि कोरोना को हैंडल करने में मिली सफलता उनको पूर्ण बहुमत दिला देगी। अब जबकि मतदान में एक हफ्ते से भी कम वक्त बचा है, तो उनकी उम्मीद फीकी नजर आ रही है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, ट्रूडो की लिबरल पार्टी का चुनाव प्रचार दमदार नहीं रहा और लोग कई मुद्दों पर उनसे नाराज हैं। इसका खामियाजा उन्हें चुनाव में उठाना पड़ सकता है।

सत्ता में विरोधी की लहर

जस्टिन ट्रूडो 2015 से सत्ता में हैं। 2019 में जब वे दूसरी बार प्रधानमंत्री बने तो यह सरकार अल्पमत में थी। इसकी वजह से उन्हें अहम बिल पास कराने या फैसले करने के लिए विपक्षी दलों का सहारा लेना पड़ता था। कोरोना से उनकी सरकार ने बेहतर तरीके से निपटा।

वैक्सीनेशन में कामयाबी मिली और बिजनेस कम्युनिटी को काफी मदद दी। इसके बावजूद आम लोगों में उनकी सरकार के प्रति कुछ गुस्सा है। इसकी एक वजह सत्ता विरोधी लहर है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पूर्ण बहुमत के लिए 49 साल के ट्रूडो को 38% वोट्स चाहिए होंगे। अब ये आंकड़ा मुश्किल नजर आ रहा है।

पार्टी नेता भी है परेशान

ट्रूडो की लिबरल पार्टी के एक नेता ने कहा- मध्यावधि चुनाव का फैसला लेकर प्रधानमंत्री ने गलती की है। कुछ दिनों पहले ट्रूडो ने कहा था- हमारी सरकार ने कोरोना से जंग में बेहतरीन काम किया। अब आपकी बारी है हमारे बारे में सोचने की। हम GDP को 23% तक लेकर जाना चाहते हैं।

अगस्त में चुनाव की घोषणा के वक्त ट्रूडो की लिबरल पार्टी प्रमुख विपक्षी दल कंजर्वेटिव पार्टी से आगे थी। अब ताजा सर्वे साफ बताते हैं कि ट्रूडो पिछड़ रहे हैं। विपक्षी नेता ओ’टूल के मुताबिक, सत्ता हथियाने के लिए ट्रूडो देश को चुनाव में झोंक रहे हैं, जबकि देश में कोरोना की चौथी लहर आ चुकी है।