(www.arya-tv.com) दिल्ली हाई कोर्ट की महिला वकील फोरम ने गुरुवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को एक पत्र याचिका भेजी है। इसमें हरियाणा में नूंह हिंसा के बाद कुछ समुदायों विशेष के आर्थिक बहिष्कार का आह्वान करने वाले सोशल मीडिया पर जारी वीडियो के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई।
101 महिला वकीलों द्वारा साइन की गई इस लेटर पेटिशन में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह हरियाणा सरकार को नफरत भरे भाषण की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने, कानून के मुताबिक ऐसे वीडियो पर प्रतिबंध लगाने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दे।
हिंसा भड़काने वाले वीडियो के प्रसार पर चिंता
दरअसल नफरत भरे भाषण और हिंसा भड़काने वाले वीडियो के प्रसार पर महिला वकीलों ने गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने अपनी याचिका में बताया कि वह लोग दिल्ली और गुड़गांव में रहने वाले कानूनी पेशे से जुड़ी और दिल्ली हाई कोर्ट महिला वकील फोरम के सदस्य हैं।उन्होंने अपनी याचिका में कोर्ट से कहा कि हम इसके माध्यम से, आपके संज्ञान में इस तथ्य को लाना चाहते हैं कि नफरत भरे भाषण वाले वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं।
नफरत फैलाने वाले भाषणों पर लगे रोक
उन्होंने कोर्ट से कहा कि हम हरियाणा राज्य को नफरत फैलाने वाले भाषण की घटनाओं को रोकने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा बार-बार जारी किए गए निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और उन्हें तुरंत उनपर प्रतिबंध लगाने के लिए तत्काल और शीघ्र दिशा-निर्देश चाहते हैं। ये वीडियो नफरत फैलाने वाले भाषण को बढ़ावा देते हैं और डर का माहौल पैदा करते हैं।
राज्य प्रशासन और पुलिस की विफलत
महिला वकीलों ने अपने इस लेटर पेटिशन में नूंह हिंसा के बाद प्रशासन द्वारा किए गए डिमोलिशन पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के स्वत: संज्ञान का भी जिक्र भी किया है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के बावजूद नूंह और अन्य जिलों में नफरत भरे भाषण की घटनाएं सामने आती रही हैं। यह राज्य प्रशासन और पुलिस की विफलता को उजागर करती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की रैलियों और नफरत फैलाने वाले भाषणों से न केवल हिंसा भड़कने का खतरा होता है, बल्कि सांप्रदायिक भय, उत्पीड़न और भेदभाव का माहौल और संस्कृति फैलती है।