(www.arya-tv.com) आगरा के सरकार नर्सिंग होम में उपचार के दौरान मरीज की मौत होने पर थाना हरीपर्वत में डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें डॉ. रोहित गुप्ता, डॉ. शरद गुप्ता और सरकार नर्सिंग होम के प्रबंधक डॉ. देवाशीष सरकार को नामजद किया गया है। मृतक के भाई ने अस्पताल प्रशासन पर मानव अंग तस्करी का आरोप भी लगाया है।
मैनपुरी के जींगना गांव निवासी जवर सिंह ने बताया कि उनके छोटे भाई वेदराम के पेट में हल्की चुभन की शिकायत थी। वो 15 सितंबर 2022 को अपने भाई को आगरा के राजा मंडी स्थित डा. रोहित गुप्ता को दिखाने लाए। डॉक्टर ने उनकी जांच कराई। इसके बाद दो दिन के लिए देहली गेट स्थित सरकार नर्सिंग होम में भर्ती कराने के लिए कहा।
सरकार अस्पताल में 15 से 17 सितंबर तक डॉ. रोहित गुप्ता ने उनका इलाज किया। उन्होंने 18 सितंबर को उन्होंने सीटी करवाया। इसमें आंत में हल्का से जख्म बताते हुए ऑपरेशन कराने की सलाह दी। इस पर परिवारीजन दूसरे डॉक्टर से ऑपरेशन कराना चाहते थे, लेकिन डॉ. रोहित गुप्ता ने डा. शरद गुप्ता से ऑपरेशन करवाने पर जोर दिया। इस पर वो डॉक्टर शरद गुप्ता से ऑपरेशन कराने पर राजी हो गई। दोपहर में ऑपरेशन हो गया। उनके भाई को जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।
तबियत बिगड़ने पर इलाज न देने का आरोप
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि ऑपरेशन के बाद ही मरीज वेदराम की तबियत बिगड़ने लगी। हॉस्पिटल स्टॉफ को डॉक्टर को बुलाने की प्रार्थना की, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं की गई। कई घंटों तक जब सुनवाई नहीं हुई तो मरीज के भाई जवर सिंह ने सख्त लिहाज में डॉक्टर को बुलाने को कहा तो अस्पताल प्रबधंक डॉ. देवाशीष सरकार ने लात मारकर मुझे गेट से बाहर निकाल दिया। रात भर मरीज अकेला तड़पता रहा। सुबह होने पर दोबारा डॉक्टर को बुलाने का कहा, लेकिन डॉक्टर को नहीं बुलाया गया। 19 सितंबर को सुबह नौ बजे मरीज की मौत हो गई।
मौत के बाद आईसीयू में भर्ती
आरोप है कि मरीज की मौत होने के बाद उसे आईसीयू में भर्ती किया गया। वहां पर बिना डॉक्टर की मौजूदगी में स्टाफ ने उपचार दिया। उनको हजारों रुपए की उल्टी सीधी दवा लगा दी गई और बिल वसूला गया। मृतक के भाई ने डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही और मानव अंग तस्करी का आरोप लगाया है।
जांच के बाद हुई FIR
मृतक के भाई ने बताया कि घटना के बाद उन्होंने थाना हरीपर्वत में तहरीर दी थी, लेकिन थाना प्रभारी द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं की गई। इसके बाद वो एसपी सिटी विकास कुमार से मिले थे। उन्होंने जांच के बाद कार्रवाई के आदेश दिए। सीएमओ ने जांच के लिए टीम बनाई। जांच रिपोर्ट आने के बाद अब पुलिस ने सात माह बाद एफआईआर दर्ज की है।
वहीं, सरकार नर्सिंग होम के डॉक्टर देवाशीष सरकार का कहना है कि ये केस उन्होंने नहीं देखा था। उस समय वो अस्पताल के प्रबंधक नहीं थे। इस बारे में ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर ही बेहतर बता सकेंगे। हालांकि पीड़ित का कहना है कि सीएमओ की जांच में डॉ. देवाशीष सरकार के बयान दर्ज हैं।