डैगन ने फिर बढ़ाई अमेरिका की चिंता, सैन्य ठिकानों के करीब क्यूबा में जासूसी अड्डा बनाने की तैयारी में चीन

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(www.arya-tv.com) चीन अपनी विस्तारवादी सोच के चलते दुनिया के कई देशों के लिए एक नई समस्या का सबब बनता जा रहा है। इनमें सबसे ताकतवर माना जाने वाला अमेरिका भी हैरान है। चीन ठीक वैसे ही इतिहास दोहराने की राह पर है जैसे सोवियत संघ ने किया था। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन क्‍यूबा में बेहद शक्तिशाली जासूसी अड्डा बनाने जा रहा है। यह चीनी अड्डा अमेरिका के फ्लोरिडा से मात्र 160 किमी की दूरी पर स्थित है।

दरअसल, 1962 में शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ सरकार ने अमेरिका को डराने के लिए उसके पड़ोसी देश क्‍यूबा में परमाणु हथियार से लैस मिसाइलों की तैनाती कर दुनिया को एटमी जंग के मुहाने पर खड़ा कर दिया था। अब फिर 61 साल बाद फिर एक बार क्‍यूबा संकट जैसे आसार पैदा हो रहे हैं। चीन क्यूबा में इलेक्‍ट्रानिक बातचीत को छिपकर सुनने का केंद्र बनाना चाहता है।

माना जा रहा है कि इसकी मदद से चीन दक्षिणी-पूर्वी अमेरिका की जासूसी कर सकेगा जो अमेरिका के कई सैन्‍य अड्डों का केंद्र है। चीन इन अड्डों की मदद से अमेरिकी जहाजों की हर मूवमेंट पर आसानी से नजर रखने की योजना पर काम कर रहा है। वॉल स्‍ट्रीट जनरल अखबार ने इस चीनी अड्डे की योजना के बारे में खुलासा किया है।

दक्षिणी-पूर्वी अमेरिका के टांपा में ही अमेरिका के सेंट्रल कमांड का मुख्‍यालय है। इसके अलावा नार्थ कैरोलिना में फोर्ट लिबर्टी है जो अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्‍य अड्डा है। अमेरिकी अधिकारियों की तरफ से भी जासूसी अड्डों पर चीन और क्यूबा के बीच सैद्धांतिक समझौतों की पुष्टि की जा रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन जासूसी ठिकानों के बदले चीन क्‍यूबा को कई अरब डॉलर देगा।

वहीं अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्‍ता बिग्रेडियर जनरल पैट्रिक रयडेर ने इसको लेकर कहा कि हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि चीन और क्‍यूबा एक नए तरह के जासूसी केंद्र का निर्माण कर रहे हैं। हवाना में क्‍यूबा के उप विदेश मंत्री कार्लोस फर्नांडिज ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया और कहा कि यह फर्जी रिपोर्ट है। उन्‍होंने कहा कि अमेरिका क्‍यूबा पर लंबे समय से चले आ रहे आर्थिक प्रतिबंधों को न्‍यायोचित ठहराने के लिए इस तरह की फर्जी बातें कर रहा है।

अमेरिका और चीन का टकराव नया नहीं है। लंबे समय से अमेरिका और चीन आमने-सामने रहे हैं। चीन रूस का सबसे बड़ा सहयोगी है और उसके अमेरिका से ​टकराव का यह भी बड़ा कारण है। चीन के जासूसी गुब्‍बारे को पिछले दिनों अमेरिका ने अपने पूर्वी तट पर मार गिराया था। अब अमेरिकी नेता क्‍यूबा की रिपोर्ट को लेकर बाइडन सरकार पर निशाना साध रहे हैं।