कानपुर में लावारिस मरीजों के लिए ‘खुदा’ बने तरनजीत:अस्पतालों में रोज खाना और दवा पहुंचाते हैं

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(www.arya-tv.com) कहते हैं जिनका कोई नहीं होता उनका खुदा होता है। अस्पतालों में भर्ती लावारिस मरीजों के लिए सरदार तरनजीत सिंह किसी ‘खुदा’ से कम नहीं है। तरनजीत की एक ऐसी कहानी जिसे जानकर आप भी अचंभित हो जाएंगे। सरकारी अस्पतालों में भर्ती लावारिस मरीजों की वह इस कदर देखरेख करते हैं और अपनी ड्यूटी निभाते हैं जैसे कोई अपने घर वालों के भर्ती होने पर निभाता है।

गुमटी नंबर- 5 निवासी तरनजीत सिंह की मोबाइल की दुकान है। रोज शाम को 7 बजे अपने घर में खाने का आइटम तैयार कराते हैं। इसके बाद उसे वर्तनों में भरकर उसे हैलट, उर्सला, डफरिन हॉस्पिटल में ले जाकर मरीजों को अपने हाथों से खिलाते हैं। मरीजों के खाने में दूध जरूर रहता है।

बदल-बदल कर खिलाते हैं आइटम
तरनजीत सिंह ने बताया कि वह मरीजों को रोज बदल बदल कर आइटम खिलाते रहते हैं। कभी उनको खिचड़ी तो कभी दूध की दलिया, कभी दाल रोटी, ब्रेड मक्खन अन्य आइटम बदल-बदल कर ले जाते हैं। ताकि मरीज एक खाना खाते-खाते बोर ना होने लगे। इसके अलावा डॉक्टरों की लिखीं दवाइयां भी उनको पहुंचाते हैं।

मरीजों को रहता है तरनजीत का इंतजार

अस्पताल में भर्ती मरीजों को रोज तरनजीत सिंह का बेसब्री से इंतजार रहता है। वह रोजाना घर से 8 बजे निकल जाते हैं और रात को 11-12 बजे तक लौट कर घर आते हैं। अस्पतालों में पहुंचते ही मरीजों के चेहरे तरनजीत को देखकर खिल जाते हैं।

हर दिन 25 से 30 मरीजों को कराते भोजन
तरनजीत सिंह ने बताया कि 2016 की बात है एक लड़की को कुछ लड़कों ने बहुत बुरी तरह से पीटा था, जो कि हैलट अस्पताल में भर्ती थी। उसको देखने के लिए मैं अपने दोस्तों के साथ गया था। वहां गया तो देखा कि एक लावारिस व्यक्ति भी भर्ती था, जिसे देखने वाला कोई नहीं था, मगर जब मैं उसके पास गया। उससे बात की तो जो उसके चेहरे में खुशी थी।

उसको मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता था। उसकी खुशी को देख कर मैं रोज उसके पास जाने लगा। उसकी दवा कराई और वह ठीक हो कर घर चला गया। फिर धीरे-धीरे करके ऐसे मरीजों की संख्या मेरे साथ जुड़ती चली गई। रोज करीब 25 से 30 मरीजों को मैं भोजन करा रहा हूं।