कोविड-19 के साथ भारत में साइबर क्राइम का खतरा बढ़ा

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  • कोविड-19 के संदर्भ में साइबर क्राइम का बढ़ता खतरा
  • भारतवासियों को जागरूक रहने की जरूरत

(www.arya-tv.com)कोविड-19 संकट ने सभी को नए सिरे से संघर्ष करने और अपनी दैनिक जीवनशैली में बदलाव का सामना करने के लिए सीखने को मजबूर कर दिया है। इसी माहौल में कोविड- 19 से जुड़ी चिंताओं का शिकार बने लोगों पर साइबर-अपराधी साइबर हमले शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। साइबर अपराधियों द्वारा की जा रही गतिविधियों में से कुछ इस प्रकार हैं, भारत पंचाल चीफ रिस्क ऑफिसर इंडिया, मिडल-ईस्ट एंड अफ्रीका, एफआईएस के अनुसार ,ईएमआई स्थगन के लिए ओटीपी फ्राॅडः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 31 मार्च 2020 से 31 मई 2020 के बीच सभी प्रकार के भुगतान, ऋण, और क्रेडिट कार्ड बिल पर तीन महीने की मोहलत की घोषणा की थी। इसके बाद धोखाधड़ी करने वाले साइबर-अपराधी ग्राहकों को बैंक अधिकारी बनकर काॅल कर रहे हैं और उनसे सवाल कर रहे हैं कि क्या वे ईएमआई अधिस्थगन का लाभ उठाना चाहते हैं। अगर उन्हें हां में जवाब मिलता है, तो वे जवाब में कहते हैं कि आपके बैंक खाते संबंधी जानकारी उपलब्ध कराएं, ताकि वन टाइम पासवर्ड जनरेट किया जा सके। ग्राहक द्वारा ओटीपी साझा किए जाने के बाद, जालसाज उनके खाते से तुरंत पैसा निकाल लेते हैं।

ऑनलाइन फ्रॉड

स्कैमर्स फर्जी वेबसाइट, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया अकाउंट और ईमेलर्स बना रहे हैं जो मेडिकल प्रोडक्ट बेचने और देने का दावा कर रहे हैं। जो उपयोगकर्ता इन गतिविधियों के शिकार होते हैं, उन्हें बैंक हस्तांतरण के माध्यम से भुगतान करने के लिए कहा जाता है।

टेलीफोन फ्रॉड

टेलीफोन पर आपको सूचना मिलती है कि आपके किसी रिश्तेदार या दोस्त का वर्तमान में कोरोनावायरस के लिए एक अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। उनके इलाज के नाम पर फोन के जरिये लोगों से संपर्क कर उन्हें चिकित्सा उपचार की लागत का भुगतान करने के लिए कहा जाता है।

फिशिंग

महामारी से संबंधित ई-मेल और लिंक प्रसारित किए जा रहे हैं। ऐसा दावा किया जा रहा है कि यह तमाम जानकारी स्वास्थ्य अधिकारियों की तरफ से भेजी जा रही है। इन ई-मेल और लिंक के जरिये लोगों से कहा जाता है कि वे अपने व्यक्तिगत ईमेल पते, बैंक खाते के विवरण, आधार संख्या और पैन नंबर और पासवर्ड के साथ लॉग इन करें। स्कैमर्स तब आपकी गोपनीय जानकारी तक पहुंचने के लिए आपकी आईडी का उपयोग करते हैं और इस तरह धन निकालने की कोशिश करते हैं।

लोगों को क्या करना चाहिए?

  •  किसी भी परिस्थिति में, किसी को भी किसी भी माध्यम से किसी प्रकार की व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा नहीं करना चाहिए। आपके बैंक को किसी भी तरह के लेनदेन के लिए आपके पासवर्ड, पिन या ओटीपी की आवश्यकता नहीं होती है।
  •  अगर आपको कोई संदेश प्राप्त होता है या अपनी जानकारी को अपडेट करने या किसी खाते को सक्रिय करने, या किसी फोन नंबर पर कॉल करके या किसी भी वेब साइट पर जानकारी सबमिट करके अपनी पहचान सत्यापित करने के लिए कहा जाता है, तो सतर्क रहें।
  •  बैंक की तरफ से काॅल आने की बात कही जाए, तो ऐसे कॉल की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए हमेशा आधिकारिक चैनलों के माध्यम से सीधे अपने बैंक से संपर्क करें।
  •  ईमेल में उल्लिखित वेब पते से भिन्न प्रतीत होने पर हमेशा वेबसाइट के पते को सत्यापित करें
  • एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर, स्पायवेयर फिल्टर, ई-मेल फिल्टर और फायरवॉल प्रोग्राम्स के साथ अपने कंप्यूटर की सुरक्षा को अपडेट करें। टेलीफोन के जरिये अगर आपसे तुरंत टीमव्यूअर, एनीडेस्क जैसे एप्लीकेशन इंस्टाॅल करने के लिए कहा जाए, ऐसा कतई नहीं करें।

हम लोगों को सतर्क रहना चाहिए और सोशल मैसेजिंग प्लेटफॉर्म, ईमेल या ब्राउजर में बड़े पैमाने पर प्रसारित होने वाले कोरोनवायरस से संबंधित संदिग्ध ईमेल या असत्यापित लिंक को खोलने से पूरी तरह से बचना चाहिए। सोशल मीडिया और बैंकिंग गतिविधियों के लिए एक मल्टी-आॅथेंटिकेशन विकल्प के साथ एक मजबूत पासवर्ड काॅम्बिनेशन सुनिश्चित करें। इन एहतियाती उपायों का सहारा लेने के बावजूद, अगर कोई अभी भी इस तरह की धोखाधड़ी गतिविधियों का शिकार होता है, तो सुनिश्चित करें कि संबंधित अधिकारियों को तुरंत जानकारी दी जाए। इस तरह की धोखाधड़ी से तभी बचा जा सकता है, जब आप साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूक और सतर्क रहें। इसी तरीके से हम साइबर अपराधों पर अंकुश लगा सकते हैं। सतर्क रहें, साइबर सुरक्षित रहें!