Cyber Crime: ‘साइबर क्राइम से महिलाओं के आत्मसम्मान को होता है नुकसान’, बोले जस्टिस भट्ट

# ## International National

(www.arya-tv.com) सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस रवींद्र भट्ट ने शनिवार (6 मई) को दिल्ली में कानून, लिंग और समाज पर केंद्रित भारतीय अदालतों के विभिन्न निर्णयों पर एक आलोचनात्मक बुक का विमोचन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि महिलाओं को लक्षित करने वाले बढ़ते साइबर अपराध (Cyber Crime) उनके आत्मसम्मान को प्रभावित करते हैं. जस्टिस भट समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही पांच-न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा हैं.

उन्होंने कहा कि यूनिसेफ की स्टडी से पता चलता है कि एक तिहाई युवा साइबर-बुलिंग के शिकार हैं. जिसमें लड़कियां उच्च जोखिम पर हैं. जस्टिस भट्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट की जज जस्टिस नजमी वजीरी की बेटी और वकील आलिया वजीरी की किताब के बारे में बात करते हुए कहा कि ये साइबर-बुलिंग महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है क्योंकि इससे उनमें आत्म-मूल्य का नुकसान होता है.

किताब में साइबर-बुलिंग का मुद्दा उठाया

किताब में साइबर-बुलिंग के मुद्दे को उठाया गया है और साइबरस्पेस में बुल्ली बाई और सुल्ली डील जैसी ऐप से निपटने के लिए कानूनों की अपर्याप्तता पर एक आलोचना प्रस्तुत की गई है. इन ऐप में नीलामी के लिए महिलाओं की तस्वीरें उनकी सहमति के बिना पोस्ट की गई थीं. उन्होंने कहा कि किताब में कई बातों को कवर किया गया है, लेकिन महिलाओं को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है. इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध कवि और गीतकार जावेद अख्तर भी मौजूद रहे.

जावेद अख्तर ने लव जिहाद, महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि लव जिहाद अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ नहीं बल्कि हिंदू लड़कियों के खिलाफ है. ये एक मानसिकता पर आधारित है जो यह सुझाव देती है कि हिंदू लड़कियां इतनी बेवकूफ कैसे होती हैं कि जब शादी की बात आती है तो वे अपने दिमाग का सही नहीं इस्तेमाल नहीं करती हैं. लव जिहाद पर उनकी टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब एक फिल्म द केरला स्टोरी को लेकर विवाद चल रहा है. इस फिल्म में तीन भारतीय लड़कियों को आईएसआईएस आतंकवादियों के जरिए फंसाए जाने और इस्लाम में धर्मांतरण के लिए मजबूर करने की कहानी बताई गई है.

क्या फिल्मों से अपराध को मिल रहा बढ़ावा? 

इस तर्क को संबोधित करते हुए कि फिल्मों में महिलाओं का अश्लील चित्रण यौन अपराध करने की प्रवृत्ति को ट्रिगर करता है, अख्तर ने कहा, “यह एक गलत सोच है.” अख्तर ने कहा कि जिन राज्यों में यौन अपराध ज्यादा होते हैं, वहां सिनेमा हॉल कम हैं. अगर सिनेमा लोगों को उकसाता है, तो दक्षिण में और अपराध होने चाहिए. उन्होंने इस बात को भी खारिज कर दिया कि सह-शिक्षा लड़कियों के लिए समस्याओं को आमंत्रित करती है. उन्होंने कहा कि जब आप किसी चीज़ के बारे में नहीं जानते हैं, तो आप कल्पना करते हैं और यह विकृति की ओर ले जाती है.