दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन : डॉ. मधु रानी शुक्ला

Lucknow Prayagraj Zone

(www.arya-tv.com)जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय एवं व्यंजना आर्ट एण्ड कल्चर सोसाइटी के संयुक्त तत्त्वावधान में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय अंतरविषयी संगोष्ठी गोस्वामी तुलसीदास सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं सामाजिक परिप्रेक्ष्य में आयोजित किया गाया। स्वामी रामभद्राचार्य जी को गोस्वामी तुलसीदास जी का अवतार माना जाता है । शुभारंभ जगद्गुरु पद्मविभूषण श्री रामभद्राचार्य जी के करकमलों द्वारा हुआ है इस आयोजन की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शिशिर पाण्डेय ने की। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ एवं विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वन्दना हुआ उसके पश्चात व्यंजना संस्था के कलाकारों जिसमें शाम्भवी शुक्ला, अभिलाषा भारद्वाज, विशाखा कौशिक, कीर्ति चौधरी, रंजना पाल, आरती श्रीवास्तव, प्रज्ञा पाल, शुभम पटवा (तबला), सूरज कुशवाहा (हारमोनियम), अजीत शर्मा (ढोलक) द्वारा रामलला नहछु की प्रस्तुति हुई। व्यंजना संस्था की सचिव डॉ. मधु रानी शुक्ला ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए समस्त अतिथियों का स्वागत किया।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जगद्गुरु ने आशीर्वचन स्वरूप में कहा कि राम के अनन्य भक्त तुलसीदास जी रचना रामलला नहछू सुनकर मन एकदम खुश हो गया। हमारी भारतीय भाषाओं में अवधी भाषा बहुत सुंदर है, एक अनोखी सम्प्रेषण शक्ति है इसमें। गुरु जी ने गोस्वामी तुलसीदास की रचना जानकी मंगल पाठ गाकर सुनाया व “मंगल भवन अमंगल हारी” के गायन से उद्घाटन सत्र कर समापन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. शिशिर पाण्डेय ने की। इसके साथ ही उद्घाटन सत्र सम्पन्न हुआ, इस सत्र का संचालन डॉ. गोपाल कुमार मिश्र ने किया ।

उसके पश्चात तकनीकी सत्र प्रारंभ हुआ जिसमें अशोक जमनानी एवं डॉ. कल्पना पाण्डेय ने तुलसीदास रचित रामचरितमानस का मानव मन पर प्रभाव पर प्रकाश डाला। रामाष्टकम् का पाठ सुश्री आर्यमा शुक्ला ने किया व सत्र की अध्यक्षता विदुषी विद्या बिन्दु सिंह (पद्मश्री) ने की । सत्र का संचालन डॉ. ज्योति सिन्हा ने किया। द्वितीय सत्र में वक्ता के रूप में डॉ. कल्पना दुबे, श्रीमती दिव्या दुबे ने गोस्वामी तुलसीदास के साहित्यिक पक्षों पर प्रकाश डाला, सत्र का संचालन डॉ. वेणु वनिता ने किया व अध्यक्षता डॉ. इला द्विवेदी ने की।

सायं को सांस्कृतिक सत्र में प्रख्यात ध्रुपद गायक पंडित विनोद द्विवेदी एवं  आयुष द्विवेदी  ने राग भीमपलासी में निबद्ध रचना राम नाम ध्यान धरो निसदिन, सूलताल में निबद्ध रचना मूरत बसी मन मे एवं राग मधुवंती में भजमन तुलसीदास, आपके साथ पखावज पर संगत राज कुमार झा जी ने की। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संगीत विभाग में कार्यरत व प्रख्यात कलाकार डॉ. रामशंकर ने तुलसीदास को समर्पित ‘बंदौ चरण कमाल तुलसी के’ प्रदर्शित किया। तत्पश्चात पंडित छन्नुलाल जी के शिष्य व बनारस घराने के युवा कलाकार डॉ. इंद्रेश मिश्रा ने तुलसीदास पर आधारित रचनाएँ, केवट प्रसंग आदि प्रस्तुत किया। बसंत कन्या कॉलेज, वाराणसी में कार्यरत श्री हनुमान गुप्ता जी ने ‘तू दयाल दीन हौं’ एवं ‘भजमन राम चरण सुखदाई’ प्रस्तुत किया। डॉ. ज्योति, श्रीमती तन्वी तिवारी एवं सूरज कुशवाहा ने तुलसीदास की रचना प्रस्तुत की।

अंतर्राष्ट्रीय सत्र में जापान से जुड़ी प्रो. हिरोको नागासाकि ने ‘तुलसीदास का छंद विधान’ विषय पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होनें 5 मुख्य बिन्दु प्रस्तुत किए जो 110 एवं 111 संस्करण पर विशेष रूप से एकाग्र था तत्पश्चात् नेपाल से जुड़ीं डॉ. रूप नेऊपने ने सरोद वादन के जरिए ‘रघुपति राघव राजा राम’ की प्रस्तुति की। जापान से जुड़ीं डॉ. तोमोका मुशिगा ने ‘ठुमक चालत रामचन्द्र’ की अद्भुत संगीतमयी प्रस्तुति दी एवं अंत में अमेरिका से जुड़ीं डॉ. विजयश्री शर्मा ने राग पूरिया धानश्री और राग भैरव राम जपु राम जपु, राम जपु बाँवरे, उज्बेकिस्तान से जुड़े डॉ. मनीष मिश्र ने तुलसीदास के पदों के साहित्यिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए सत्र का संचालन किया एवं सत्र की अध्यक्षता ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के संगीत विभाग की विभागाध्यक्षा प्रो लावण्य कीर्ति सिंह ‘काब्या’ ने कहा कि हमें तुलसीदास को एवं उनकी रचनाओं को दोहराना आवश्यक है, अपनी लोक भाषा एवं संस्कृति से जुड़े रहने से ही हम उन्हें बचा पाएंगे’ और सोहर की धुनों से भी सभागार गुंजित किया।

इसी प्रकार अगले साहित्यिक सत्र की अध्यक्षता डॉ. किरण त्रिपाठी ने की व वक्ताओं के रूप में अन्य समेत डॉ. श्रीकांत मिश्र, डॉ. सतेन्द्र मिश्र, डॉ. सुजीत सिंह उपस्थित थे व सत्र का संचालन डॉ प्रमिला मिश्रा ने किया। अयोध्या से पधारीं प्रो. सुनीता द्विवेदी ने सत्र की अध्यक्षता की, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की डॉ. दीप्ति विष्णु ने ‘वाल्मीकि व तुलसी के श्रीराम’ एवं श्रीराम स्तुति पर नृत्य प्रस्तुति दी। सत्र का संचालन डॉ. इंदु शर्मा ने किया एवं ‘हिन्दी फिल्मों में तुलसीदास’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। सांस्कृतिक सत्र में गायन प्रस्तुति बालुकाबेला, सत्यम मिश्र, शक्ति सोनी, नन्दलाल यादव एवं कृष्ण कुमार तिवारी ने दी एवं समापन सत्र पद्मश्री से सम्मानित प्रख्यात ध्रुपद गायक पंडित ऋत्विक सानयाल ने तुलसीदास के पदों की प्रस्तुति की एवं पखावज पर संगत आदित्य दीप ने की।