क्लासरूम्स से ग्लास रूम्स तक – शिक्षा में सुधार

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  • क्लासरूम्स बंद क्लासेस शुरू

(www.arya-tv.com)हम सब जब स्कूलों में पढ़ रहे थे, तब ऐसे दिन की कल्पना करते थे जब किसी आंदोलन या प्राकृतिक विपदा की वजह से स्कूल्स अनिश्चित समय के लिए बंद किए जाएंगे और छात्र, उनके माता-पिता, शिक्षकों को कुछ भी पता न हो कि आगे क्या होने वाला है। आज जब संक्रमण की वजह से देश भर में लॉकडाउन किया गया है तो भारत के सभी छात्रों को ठीक उसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन आज समय बदल चूका है और हमारे पास डिजिटाइजेशन की सुपरपावर है। नोटबंदी के दिनों में डिजिटल पेमेंट्स क्षेत्र में हुई क्रांति हम सभी ने देखी है।
आज की स्थिति में क्या वही परिवर्तन शिक्षा प्रणाली में भी लाया जा सकता है? वेंगूस्वामी रामास्वामी, ग्लोबल हेड, टीसीएस आईओएन के अनुसार, यह संभव करने में डिजिटल टेक्नोलॉजी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और डिजिटल टेक्नोलॉजी की वजह से पारंपरिक कक्षा को ग्लास-रूम में बदला जा सकता है। अब लोग अपना नया सामान्य जीवन जीना सीख रहे हैं और सुधारों के लिए वर्तमान स्थिति ही सबसे सही समय है। आज टेक्नोलॉजी का नए तरीके से उपयोग करते हुए ऐसी डिजिटल इकोसिस्टम का निर्माण कर सकते हैं जिसमें शिक्षा बिना किसी बाधा के निरंतर चलती रहेगी। पारंपरिक ईटों और सीमेंट से बनी दीवारों को पीछे छोड़कर डिजिटल ग्लास-रूम्स की वर्चुअल दीवारों को अपनाने का यह सही समय है। इस परिवर्तन में कौनसी बातें महत्वपूर्ण होगी आइए, देखते हैं !

1. डिजिटल टेक्नोलॉजी का तेजी से स्वीकार – पिछले काफी समय से डिजिटल टेक्नोलॉजी का स्वीकार करने की शिक्षा क्षेत्र की गति धीमी चलती आ रही है। आज संक्रमण की वजह से क्लासेस चलाना असंभव हो चूका है। नए मॉडल को अपनाने के लिए शिक्षा तज्ञ और शिक्षकों को एक अवसर मिला है। क्लाउड, डेटा बैंडविड्थ, स्टोरेज प्रौद्योगिकी, कॉम्प्यूट पावर, एनालिटिक्स, डेटा मैनेजमेंट मेथड्स आदि सब मिलकर डिजिटल दुनिया में एक अभूतपूर्व अवसर निर्माण करने के लिए काम कर रहे हैं जो कुछ साल पहले संभव नहीं था। इन सब बातों में कई सुधार हुए हैं। अब समय आ चूका है कि हमारा शिक्षा क्षेत्र उनका लाभ उठाए और इस संक्रमण का मुकाबला करें।

2. शिक्षक केंद्रित से छात्र केंद्रितरू शिक्षा के बारे में हमारा दृष्टिकोण हमेशा से ही शिक्षक केंद्रित (अधिकतम एकमार्गी) रहा है। लेकिन अब इस शिक्षक केंद्रित कक्षा से छात्र केंद्रित डिजिटल ग्लास-रूम्स तक परिवर्तन लाने का समय है। छात्रों में स्वयं-शिक्षा की आदत विकसित करके उसे आगे बढ़ाने का यह अवसर है। इससे उनकी सोच बढ़ेगी, जिज्ञासा बढ़ेगी और उन्हें नयी चीजों में रूचि निर्माण होगी।

3. शारीरिक रूप से दूर लेकिन डिजिटली एक-दूसरे के साथ रहने वाला समुदाय – डिजिटल दुनिया में सामुदायिक दृष्टिकोण छात्रों को श्कही भी, कभी भीश् एक दूसरे के साथ कनेक्ट होने में मदद करेगा। समुदाय छात्रों को उपयुक्त, सहयोगपूर्ण जगह देगा जहां उन्हें व्यस्त रखा जा सकता है और उनकी डिजिटल क्षमताओं को विकसित किया जा सकता है। शुरूआत में हर छात्र के लिए तीन डिजिटल समुदाय बनाते हैं – (1) स्कूल या कॉलेज एक समुदाय (2) कक्षा एक समुदाय (3) हर विषय एक समुदाय। इससे छात्रों को एक-दूसरे के साथ और शिक्षक-छात्रों के बीच सक्रीय सहभागिता को बढ़ावा मिलेगा।

4. वर्चुअल फिर भी वास्तविक सहभागिता – डिजिटल दुनिया में छात्रों की रूचि बनी रहें, वे व्यस्त रहें इसके लिए किए जाने वाले प्रयासों में कुछ चुनौतियां भी होती हैं। इसका एक उपाय है डिजिटल असाइनमेंट्स, प्रतियोगिताएं, वाद विवाद आदि होते रहने से छात्रों की पढाई में रूचि बनी रहती है और किसी विषय का वास्तविक जीवन में उपयोग कैसे करना है वह भी सीखा जा सकता है।

5. वर्चुअल दुनिया के लिए प्रमाणीकरण – डिजिटल परीक्षा, मूल्यांकन नियमित रूप से करना जरुरी है ताकि शिक्षा के प्रभाव को जांचा जा सकता है। इससे शिक्षकों को विशेष और जरूरतमंद छात्र पहचानने में मदद होगी और वे उन्हें अतिरिक्त मदद दे सकते हैं। कक्षा की तरह शिक्षक सभी छात्रों को डिजिटल ग्लास-रूम्स में एकसाथ ला सकते हैं।

6. टेक्नोलॉजी और कंटेंट क्षमता प्रदान कर सकते हैं लेकिन अध्यापन कला सबसे महत्वपूर्ण है – टेक्नोलॉजी प्राप्त होना यह चुनौती नहीं है। सिखाने के लिए कंटेंट भी है। शिक्षक कक्षा में सीखा रहे थे, तो उनके पास कंटेंट है। अध्यापन कला का अभाव है। कक्षा में इस्तेमाल की जाने वाली अध्यापन कला डिजिटल ग्लास-रूम के लिए पर्याप्त और उचित नहीं होगी। पूरी तरह से नयी प्रक्रिया, पद्धति लायी जा रही है। नयी प्रक्रियाएं संवादात्मक हैं, उनमें कई खेल, मनोरंजन है, वह विज्युअली बहुत अच्छी हैं, नीजि जरूरतों के अनुसार उन्हें बदला जा सकता है और उनका उपयोग करना सरल है। इससे शिक्षा और भी ज्यादा प्रभावकारी हो सकती है।

7. शिक्षा का प्रजातंत्रीकरण – वर्तमान संकट की घड़ी में हमें यह ध्यान रखना जरुरी है कि डिजिटल टेक्नोलॉजी सिर्फ किसी एक खास उच्च वर्ग तक सीमित न रहे यह सुनिश्चित करना होगा। उसका प्रजातंत्रीकरण करना होगा और किसी भी भेदभाव के बिना हर एक नागरिक को उसके लाभ मिलेंगे। हमारी शिक्षा प्रणाली का बड़ा हिस्सा सरकार द्वारा चलाया जाता है। उन्हें इस प्लेटफार्म को स्वीकार करना चाहिए, कंटेंट, मेथड्स हर स्कूल को मिलाने चाहिए। पुरे देश भर में डिजिटल ग्लास-रूम्स का सभी स्तरों में स्वीकार हो इसलिए क्षेत्र की सरकारों को आगे आना चाहिए।

डिजिटल ग्लास-रूम्स से पारदर्शिता बढ़ेगी, उनकी देखरेख का खर्च भी कम होता है और वह बहुत ही सुविधाजनक है। वह हमें शिक्षा में नए मानदंड स्थापित करने में मदद करेंगे। लेकिन वहां तक पहुंचने में कई कठिनाइयां हैं। कम बैंडविड्थ, सभी को इंटरनेट की सुविधा न मिलना, टेक्नोलॉजी पर्याप्त न होना, बिजली पूरे समय न मिल पाना ऐसी कई चुनौतियां होंगी। लेकिन इन सभी में तेजी से सुधार हो रहे हैं। इन्हें दूर करने के लिए मानसिकता को बदलना जरुरी है। हमें पूरा विश्वास है कि नए मॉडल को अपनाने में हमारे शिक्षा संस्थान आगे आएंगे।

शास्त्र यूनिवर्सिटी, एनएमआईएमएस, इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया, सिंघानिया स्कूल और कई अन्य शिक्षा संस्थान वर्तमान विपदा का सामना करने के लिए शिक्षा प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल प्लेटफार्म पर ले जाने के लिए आगे आए हैं और साथ ही वे स्वयं को भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं। आइये, हम भी इस अवसर लाभ उठाकर, संकट की घड़ी में कुछ अच्छा कर दिखाते हैं, क्लासरूम से ग्लास-रूम परिवर्तन को गतिशील बनाते हैं।