STF पर भारी पड़ा रहा विनय पाठक का राजनैतिक संरक्षण:CBI जल्द शुरू कर सकती है जांच

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(www.arya-tv.com) यूपी STF पर छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति विनय पाठक को लगातार मिल रहे राजनैतिक संरक्षण भारी पड़ रहा है। भ्रष्टाचार जैसे संगीन मामले के आरोपी वीसी विनय पाठक मामले की जांच STF से हटाकर CBI से कराने जाने की सरकार की सिफारिश इसी बिंदु से जोड़कर देखी जा रही है।

चर्चा है कि इसी के चलते दो महीने से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी वह STF के सामने बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचे। साथ ही विश्वविद्यालय में अभी तक नए वीसी की नियुक्ति नहीं हुई। दूसरी तरफ STF ने आगरा विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति, सहायक कुलसचिव प्रशासन समेत चार के बयान दर्ज किए। वहीं, सहयोगी अजय मिश्र की जमानत अर्जी भी खारिज हो गई।

CBI जल्द ही शुरू कर सकती है मामले की जांच

वीसी विनय पाठक के मामले में जल्द ही CBI जांच अपने हाथ में ले सकती है। सरकार द्वारा इस मामले की जांच कराए जाने की सिफारिश के बाद तरह-तरह की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। चर्चा है कि इस मामले में केंद्र सरकार के कद्दावर नेताओं ने भी इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने की बात कही। मगर, बात न बनने पर पूरे मामले की जांच CBI से कराए जाने का दबाव बनाया गया। विनय पाठक के रसूख के चलते ही इस मामले में STF अब तक उनकी गिरफ्तारी तो दूर पूछताछ तक नहीं कर सकी है।

CBI इन बिंदुओं पर शुरू करेगी जांच

सूत्रों के मुताबिक, CBI यदि जांच शुरू करेगी तो सबसे पहले इन सात बिंदुओं पर जांच शुरू करेगी। जिसमें 6 विश्वविद्यालयों से मिले दस्तावेजों के साथ विनय पाठक से जुड़े लोगों तक जाएगी। जिनकी मदद से यूपी और आस-पास के राज्यों के विश्वविद्यालय तक कुलपति से लेकर अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति और वहां के जुड़े कामों के ठेके दिलवाए।

STF ने लखनऊ यूनिवर्सिटी, कानपुर यूनिवर्सिटी, आगरा यूनिवर्सिटी, ख्वाजा मोइनुद्दीन यूनिवर्सिटी और एकेटीयू में कई दिन लगातार पूछताछ कर सुबूत जुटाए थे। अब CBI एसटीएफ की जांच को आधार बनाते हुए नए सिरे इन कालेजों और उनसे जुड़े लोगों से पूछताछ कर आगे की कार्रवाई करेगी।

2 महीने में सिर्फ नोटिस तक ही सीमित रही STF

वीसी विनय पाठक से STF दो महीने बीत जाने के बाद भी पूछताछ तो दूर पता तक नहीं कर सकी। STF ने कानपुर विश्वविद्यालय में पाठक के आवास पर नोटिस चस्पा किया था। कई बार पाठक को उपस्थित होकर बयान दर्ज कराने के लिए कहा। मगर, वह ईमेल कर STF को खुद को बीमार होने की बात कह शांत बैठ गए। इंदिरा नगर थाने में डेविड मारियो ने 26 अक्टूबर को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि आगरा की डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी में प्री और पोस्ट परीक्षा का संचालन करने की जिम्मेदारी देने के लिये विनय पाठक और उनके करीबी अजय मिश्र ने कमीशन मांगा था। कमीशन न देने पर उनसे बाद में परीक्षा की जिम्मेदारी ले ली गई थी।

FIR दर्ज होने के बाद STF को विवेचना सौंपी गई थी। एसटीएफ पाठक के करीबी अजय मिश्रा, अजय जैन और फिर संतोष सिंह को गिरफ्तार कर चुकी है। साथ ही वीसी विनय पाठक पर उनके बयान और साक्ष्यों के आधार पर भ्रष्टाचार का मामला भी दर्ज कर लिया है। गिरफ्तार अजय मिश्र विनय पाठक का कारखास था। जिसकी कंपनी को ठेका दिलाकर कमीशन के नाम करोड़ों रुपए लेते थे। जो कंपनियों से कमीशन वसूलता था।

वहीं, संतोष ने अजय मिश्रा के साथ मिलकर बरेली विश्वविद्यालय में आयोजित बीएड प्रवेश परीक्षा और करोना किट का ठेका लिया था। इसका काम आरोपित को चार करोड़ रुपये में दिया गया था। संतोष की सत्यम साल्यूशन के नाम से फर्म है, जिससे उसने अजय मिश्रा की फर्म में लाखों रुपये स्थानांतरित किए थे।

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने दर्ज कराए बयान

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. विनय पाठक के मामले की जांच में प्रति कुलपति, सहायक कुलसचिव प्रशासन समेत चार कर्मचारियों ने STF मुख्यालय पर अपने बयान दर्ज कराए। वहीं, एक सहायक कुलसचिव व डीन ने बयान दर्ज करवाने के लिए STF से समय मांगा है।

STF सूत्रों के मुताबिक प्रति कुलपति प्रो. अजय तनेजा, डीन प्रो. संजीव शर्मा, सहायक कुलसचिव पवन कुमार और ममता सिंह और कुलसचिव के निजी सचिव एसपी सरीन, कंप्यूटर ऑपरेटर राजीव कपिल को नोटिस दिया था। जिसमें प्रो. अजय तनेजा, पवन कुमार, एसपी सरीन और राजीव कपिल ने लखनऊ में बयान दर्ज करा दिए हैं। डीन प्रो. संजीव शर्मा व सहायक कुलसचिव ममता सिंह ने समय मांगा है। इससे पहले पूर्व कुलसचिव संजीव कुमार सिंह, प्रो. वीरेंद्र कुमार और प्रो. अनिल गुप्ता के बयान दर्ज हो चुके हैं।

अजय मिश्र की जमानत अर्जी फिर खारिज
कमीशनखोरी के मामले में जेल में बंद वीसी विनय पाठक के करीबी अजय मिश्र की चौथी जमानत आर्जी भी कोर्ट ने खारिज कर दी। भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश मोहिंदर कुमार ने जमानत अर्जी पर अपना फैसला वादी डेविड मारियो के वकील प्रांशु अग्रवाल के तर्क पर दिया।

विनय पाठक यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान के विश्वविद्यालयों के रह चुके हैं वीसी
2 जून 1969 को कानपुर में जन्मे विनय कुमार पाठक ने 1991 में कानपुर के HBTI से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया। 1998 में IIT खड़गपुर से एमटेक किया और 2004 में कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की। विनय कुमार पाठक अपने 26 सालों के कार्यकाल में विभिन्न शिक्षण संस्थानों में अहम पद पर रहे।

कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में कुलपति बनने से पहले उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (UOU), हल्द्वानी के 25 नवंबर 2009 से 24 नवंबर 2012 तक कुलपति रहे। उसके बाद 1 फरवरी 2013 को वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी, कोटा के कुलपति रहे। उसके बाद एकेटीयू के कुलपति हुए।

इन बिंदुओं पर होगी जांच

  • 100 करोड़ से ज्यादा का खेल नियुक्तियों में हुआ
  • विवि में कई तरह के निर्माण के नाम पर गोलमाल हुआ
  • प्रमोशन देने में नियमों को ताक पर रखा गया
  • प्री और पोस्ट परीक्षा के संचालन का जिम्मा देने में खेल
  • करीबी अजय मिश्र की प्रिंटिंग प्रेस में नियम विपरीत पर्चे छपवाए गए
  • ट्रांसपोर्ट से करोड़ों के माल की डिलिवरी को लेकर हुआ फर्जीवाड़ा