- विपुल लखनवी ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत
आजकल फेसबुक पर विभिन्न प्रकार के ग्रुप बड़े-बड़े उद्योगपतियों के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा अपने ग्रुप का प्रचार कर रहे हैं आप यदि उसे ग्रुप में जाते हैं तो वह सीधे आपको व्हाट्सएप पर ले जाएंगे और फिर आपको शेयर मार्केट में प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट का लालच दिखाकर विभिन्न प्रकार की पोस्टों द्वारा लुभाया जाएगा। एक बार आप के द्वारा एक बड़ी धनराशि उनके अकाउंट में पहुंच गयी तो आप निश्चित रूप से ठगी का शिकार होंगे।
ऐसे ही नवी मुंबई के विपुल लखनवी ने फेसबुक के माध्यम से कुछ ग्रुप को ज्वाइन किया। जिन ग्रुप में अधिकतर विदेशी एवं कुछ भारतीय लोग अपनी पोस्ट के द्वारा सेबी के रजिस्ट्रेशन को दिखाकर आईपीओ में निश्चित रूप से अलॉटमेंट दिखाने की गारंटी देकर पैसा इकट्ठा करते हैं। सेकेंडरी मार्केट में अपर सर्किट के शेयर खरीदने के लिए आपको प्रेरित करते हैं। मजे की बात यह है कि उनके गैंग के तमाम लोग लाखों करोड़ों रुपए उनको देने के सबूत व्हाट्सएप पर शेयर करते हैं।
यह लोग ऐप भी बनाते हैं और आपसे पैसा किसी और कंपनी में ट्रांसफर करते हैं उसके लिए प्रेरित करते हैं। प्रश्न यह है यदि आप ईमानदार हैं तो किसी अन्य नकली कंपनी में पैसे क्यों ट्रांसफर कर रहे हैं।
शेयर धारकों को यह जान लेना चाहिए कि अपर सर्किट के शेयर आप खरीद नहीं सकते आपको अपनी बिड के द्वारा स्टॉक मार्केट से ही शेयर मिल सकते हैं। लेकिन यह सेकेंडरी मार्केट से आपको खरीदने का लालच देकर यह बोलते हैं कि हमको यह छूट है प्रश्न यह है वह शेयर बेचेगा कौन?
जब ठगी का एक समाचार विपुल लखनवी ने एक ग्रुप में पोस्ट किया तो उस पोस्ट को तुरंत डिलीट कर विपुल जी को ग्रुप से निकाल दिया गया। मजे की बात यह है ग्रुप के प्रमोटर अपनी डिग्री बड़े-बड़े प्रबंधन संस्थान के द्वारा पास-आउट होने का दावा करते हैं। जब उन संस्थान के पूर्व छात्र संगठनों में देखा गया तो उनका नाम था ही नहीं। यह लोग नकली प्रोफाइल भी बनाकर वेबसाइट पर लोड कर देते हैं क्योंकि आदमी जल्दबाजी में केवल नेट पर सर्च करता है और वह वेबसाइट देखकर संतुष्ट होकर अपना मेहनत का पैसा इन ठगों के हवाले कर देता है।
इस प्रकार की ठगी का मामला नवी मुंबई के अनेकों लोगों द्वारा सामने आया है। फिलहाल खारघर और एरोली में दो निवेशकों ने 76 लाख रुपए और 52 लाख जमा किए थे। पैसा वापस न मिलने पर पुलिस के पास गए।
साइबर सिटी क्राइम के वरिष्ठ निरीक्षक गजानन कदम के अनुसार उनके पास अक्सर इस तरीके FIR दर्ज करने के लिए लोग आते रहते हैं।
फिलहाल जो भी हो क्या साइबर पुलिस अपराध होने के बाद ही कार्रवाई करती है। अपराध होने के पहले इस तरह के फेसबुक और व्हाट्सएप पर लुभाने पोस्ट संज्ञान में लाकर इस अपराध को रोका नहीं जा सकता। क्या नकली रूप में इस ग्रुप में शामिल होकर पर्दाफाश नहीं किया जा सकता। यह प्रश्न तो पुलिस को ही सोचना होगा।