भाइयों ने छिपाई सारज की शहादत, माता पिता को हुआ अहसास

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बरेली (www.arya-tv.com) सोमवार को पूर्वाह्न के लगभग 11 बज रहे थे। विचित्र सिंह व उनकी पत्नी परमजीत कौर घर पर मौजूद थे। मझले बेटे सुखवीर सिंह परिवार के साथ घरेलू काम में व्यस्त थे। तभी जम्मू से उनके नंबर पर काल आई। हैलो बोलते ही उधर से जो शब्द सुनाई दिए उन्होंने कुछ पल के लिए उनका दिमाग सुन्न कर दिया। ठीक है सर कहकर वह कुछ देर वहीं रुके रहे। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। खबर ही ऐसी थी। फोन करने वाले सेना के अधिकारी थे। बताया कि उनका भाई सारज सिंह शहीद हो गया है। सुखवीर ने स्वयं को संभाला।

बड़े भाई सिख रेजीमेंट के जवान गुरप्रीत सिंह जो इस समय कुपवाड़ा में तैनात हैं उन्हें फोन पर पूरी बात बतायी। दोनों भाइयों ने तय किया कि जब तक संभव हो मां परमजीत कौर को इस बारे में न बताया जाए। क्योंकि वह दिल की मरीज हैं। अचानक इतना बड़ा सदमा उनकी तबीयत बिगाड़ देगा।

बुधवार सुबह तक पिता विचित्र सिंह को भी इस बारे में कुछ भी बताने से मना किया, लेकिन उन दोनों को तो शायद अनहोनी का अहसास हो चुका था विचित्र सिंह दोपहर बाद से ही उदास बैठे रहे। सुखवीर ने कई बार उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन हिम्मत न जुटा सके। परमजीत कौर भी शाम से सारज की याद कर रही थीं। बार-बार कह रहीं थीं कि सारज का हाल ले लो। सुखवीर उन्हें किसी तरह संभाल रहे थे।

भाइयों को देख सेना में भर्ती की ठानी

विचित्र सिंह खेतीबाड़ी करते हैं। बचपन से ही तीनों बेटों को देश सेवा का पाठ पढ़ाया। तीनों ने जब सेना में भर्ती होने की बात कही तो उन्हें रोका नहीं। सुखवीर बताते हैं कि सारत सिंह सबसे छोटे होने के कारण पूरे परिवार के लाडले थे। जब उन्हें जो चीज जरूरत होती वे लाकर देते। सुखवीर सिंह 2009 में 6 आरआर रायफल्स में भर्ती हुए थे। उसके बाद 2013 में गुरप्रीत सिंह सिख रेजीमेंट में भर्ती हो गए। दोनों भाइयों के सेना में भर्ती होने के बाद सारत सिंह ने भी सेना में भर्ती हाेने की जिद ठान ली। सुखवीर ने पहले उन्हे रोका, लेकिन फिर जिद के आगे झुक गए। सारत ने भी काफी तैयारी की और 2015 में 16 आरआर में भर्ती हो गए। उनकी पहली ज्वाइनिंग फिरोजपुर में हुई थी। उसके बाद जम्मू के राजौरी में तैनात किए गए थे।

जुलाई में गए थे वापस, दिसंबर में था आना

2019 में सारज की शादी हरदोई के शाहाबाद क्षेत्र निवासी राजविंदर कौर से हुई थी। जून में सारत छुट्टी पर घर आए थे। करीब एक माह तक रहे। दिसंबर में उनके साले की शादी होनी है। सारज ने शादी में आने का वादा किया था। रविवार शाम को ही राजविंदर अपने मायके गई थीं। वहां उन्हें पति के बारे में सूचना मिली तो उन्हें संभालना मुश्किल हो गया। यकीन नहीं हो रहा था कि अब उनका सुहाग इस दुनिया में नहीं है।

मां से कहा था यहां सब ठीक

सारज सिंह लगभग हर दूसरे दिन स्वजन से बात करते थे। उनकी ज्यादा बात मां परमजीत से होती थी रविवार शाम सात बजे फोन किया था। मां से करीब 15 मिनट बात की। बताया कि वहां पर सब कुछ ठीक है। छुट्टी पर जब आएंगे तो उनके साथ ज्यादा समय बिताएंगे, लेकिन अब यह इंतजार ही रह जाएगा।

2019 में एक साथ मिले थे तीनों भाई

सुखवीर सिंह ने बताया कि 12 सितंबर को वह छुट्टी पर आए थे। 2019 में तीनों भाई आखिरी बार एक साथ मिले थे। सुखवीर सिंह ने बताया कि सारत सिंह की शादी में बड़े भाई व वह छुट्टी लेकर आए थे। उसके बाद तीनों का एक साथ मिलना नहीं हुआ। फोन पर कभी-कभी ही बात हो पाती थी, क्योंकि जिस जगह पर वह तैनात हैं वहां नेटवर्क की दिक्कत रहती है।

आज शाम तक आ सकता पार्थिव शरीर

सारज का पार्थिव शरीर मंगलवार शाम या बुधवार सुबह तक पहुंच जाएगा। सुखवीर ने बताया कि अभी किसी को सूचना नहीं दी है। कुछ लोगों को पता चल गया है, उन्हें घर जाने से रोक रहे हैं। कोशिश कर रहे हैं कि माता पिता को जितनी देर से इस बारे में पता चले वही सही है। सारज की पत्नी को जब से इस बारे में पता चला है उनकी स्थिति भी सही नहीं है। वह भी सुबह तक घर आ जाएंगी।