बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा- ईरान इजराइल को छोटा और अमेरिकी को बड़ा शैतान समझता है

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(www.arya-tv.com) इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को अमेरिकी सांसदों के डेलीगेशन से मुलाकात की थी। ये मुलाकात यरुशलम में प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई। इस दौरान नेतन्याहू से ईरान पर एक सवाल पूछा गया।

इसके जवाब में उन्होंने कहा- अकेला ईरान 50 नॉर्थ कोरिया के बराबर है। ये मात्र वो पड़ोसी नहीं है जो आपको परेशान करता है। बल्कि वो तो इजराइल को छोटा शैतान और अमेरिकी को बड़ा शैतान समझते हैं। नेतन्याहू ने ईरान की न्यूक्लियर हथियार बनाने की कैपिसिटी और उससे अमेरिका को खतरा होने की बात भी कही।

दिसंबर 2022 में 74 साल के बेंजामिन नेतन्याहू ने इरजारइल में 37वीं बार सरकार बनाई थी। इसके बाद उनकी पार्टी ने खुद को और शक्तिशाली बनाने के लिए एक बिल पेश किया । जिसमें सुप्रीम कोर्ट की ताकतों को कम करने का सुझाव दिया गया है। इसे लेकर वहां कई महीनों से प्रदर्शन चल रहे हैं। ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अब तक उन्हें US के दौरे के लिए न्योता नहीं दिया है।

इसे लेकर रिपब्लिकन पार्टी के सांसद और अपर हाउस के स्पीकर केविन मैकार्थी ने बाइडेन की आलोचना की। इजराइल के दौरे पर उन्होंने कहा- परंपरा के मुताबिक बाइडेन ने अब तक नेतन्याहू के अमेरिका आने का न्योता नहीं दिया है। अगर वो जल्द ऐसा नहीं करेंगे तो मैं खुद नेतन्याहू को अमेरिका बुलाउंगा।

इजराइल के रक्षा मंत्री ने ईरान पर परमाणु हथियार बनाने की क्षमता बढ़ाने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि ईरान एक परमाणु हथियार बनाकर खुश नहीं रहने वाला है। उसने 5 परमाणु हथियार बनाने का 60% सामान जुटा लिया है। अगर ये 90% हो गया तो इससे पूरा इलाके में अशांति फैलेगी।

दरअसल, दुनिया में परमाणु हथियार हासिल करने की रेस को थामने के लिए अमेरिका और पश्चिमी देश पाबंदियों का सहारा ले रहे हैं। इसके तहत वो ईरान और नॉर्थ कोरिया समेत कई देशों पर आर्थिक और अन्य पाबंदियां लगा चुके हैं। इजराइल 1966 में परमाणु हथियारों वाला देश बन गया था। अब वो नहीं चाहता है कि ईरान भी ये हथियार बनाने के लायक बने।

2015 में ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए एक डील की गई थी। इसमें ईरान, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और अमेरिका शामिल थे। इस डील में तय किया गया था कि ईरान समय-समय पर अपने न्यूक्लियर रिएक्टर्स की जांच UN से कराएगा और वो अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को और आगे नहीं बढ़ाएगा। हालांकि 2018 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस समझौते से अमेरिका को बाहर कर दिया था। नतीजा ये हुआ कि ईरान पर फिर पाबंदियां लगा दी गई।