- BBAU में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, सतत विकास लक्ष्य एवं राष्ट्र निर्माण : दृष्टिकोण, मुद्दे, चिंताएं एवं चुनौतियां ‘ विषय पर हुआ द्वि – दिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ
बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विद्यापीठ की ओर से ‘ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, सतत विकास लक्ष्य एवं राष्ट्र निर्माण : दृष्टिकोण, मुद्दे, चिंताएं एवं चुनौतियां ‘ विषय पर द्वि – दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें देश के विभिन्न कोनों से विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम के पहले दिन उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में महात्मा गॉंधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० संजय श्रीवास्तव मौजूद रहे। मुख्य अतिथि के तौर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रारूप समिति के सदस्य प्रो० मजहर आसिफ एवं राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो० एन० वी० वर्गीज सम्मिलित हुए। इसके अतिरिक्त मंच पर समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो० जया श्रीवास्तव एवं आयोजन सचिव प्रो० मनीष कुमार वर्मा मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब को पुष्प अर्पित करने के साथ हुई।
कुलपति आचार्य संजय सिंह ने सभी को संबोधित करते हुए कहा, कि नई शिक्षा नीति ने शिक्षा को विभिन्न नये आयामों के साथ प्रस्तुत किया है। जिसके अंतर्गत संस्कृति, प्राचीन विरासत, कौशल विकास, विस्तृत दृष्टिकोण एवं राष्ट्रीय भाषा को बढ़ावा दिया गया है। आज शिक्षा सिर्फ कक्षा तक ही सीमित नहींं रह गयी बल्कि बहुविषयक उद्देश्यों के शिक्षा के स्तर में निरन्तर सुधार किया जा रहा है।
महात्मा गॉंधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० संजय श्रीवास्तव ने चर्चा के दौरान कहा, कि नई शिक्षा नीति ने शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा दिया है। जिसके माध्यम से विकास के लिए आवश्यक तत्व जैसे प्रति व्यक्ति आय, अर्थव्यवस्था, प्रत्येक स्तर पर सामाजिक सुधार आदि को पहले की अपेक्षा बेहतर बनाया जा सकता है। यह सभी किसी भी राष्ट्र के आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने का कार्य करते हैं।
नई शिक्षा नीति की प्रारूप समिति के सदस्य प्रो० मजहर आसिफ ने अपने व्यक्तव्य के दौरान कहा, कि बहुआयामी उद्देश्यों के साथ नई शिक्षा नीति को लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। ज्ञान और शिक्षा वास्तव में विपरीत अर्थ रखते हैं, जिसके असल मायनों को इस नीति ने समझाने का कार्य किया है। शिक्षा के अन्तर्गत विद्यार्थियों के लिए हितकारी, मूल्य आधारित शिक्षा एवं आवश्यक संस्कार को सम्मिलित किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो० एन० वी० वर्गीज ने अपने विचार रखते हुए कहा , कि समाज में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि समाज का आखिरी व्यक्ति भी किसी अभाव के कारण शिक्षा से वंचित नहीं रहे। विश्वविद्यालयी गतिविधियों को राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता देनी होगी तभी ही शिक्षा के क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त आयोजन सचिव प्रो० मनीष कुमार वर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्राचीन संस्कृति एवं शिक्षा की अवधारणा को प्रदर्शित करने वाला सकारात्मक प्रयास बताया।आयोजन समिति के सचिव प्रो० मनीष कुमार वर्मा द्वारा सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। विश्वविद्यालय के छात्र- छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक संध्या के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण एवं देश भर से आये विभिन्न प्रतिभागी मौजूद रहे।