HDFC बैंक के धोखे की एक कहानी !

Lucknow
  • विपुल लखनवी ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत।

नवी मुंबई। इसमें कोई दो राय नहीं एचडीएफसी बैंक कस्टमर को पैसे को जमा संबंधी सुविधाओं हेतु सर्विस अच्छी देता है। लेकिन एक बार तुम उनके जाल में फंस गए तो वह किसी मकड़ी की तरह चूसने का प्रयास करता है किसी भी शिकायत का किसी भी कंप्लेंट का कोई भी असर नहीं होता है किसी सरकारी बैंक की तरह अपनी औकात पर यह बैंक उतर आता है।

यह किस्सा स्वयं मेरे साथ हुआ। मैंने वर्ष 2017 या 18 में कोपरखैराने सेक्टर 15 स्थित एचडीएफसी बैंक में तीन खाते खोले थे। एक मेरे पेंशन का खाता दूसरा मेरा खाता तीसरा मेरी पत्नी का खाता। मुझको बड़े स्वागत के साथ एक रिलेशनशिप मैनेजर भी दिया गया काम सुचारू से चलता रहा। फिर बाद में मेरा और मेरी पत्नी का डिमैट अकाउंट खोल दिया गया। इस काम के लिए एचडीएफसी बैंक के प्रतिनिधि ने अनेकों चक्कर मेरे घर में लगाए। मैं 2020 या 21 में बैंक से अपने रिलेशनशिप मैनेजर श्री ओपी तिवारी के द्वारा निवेदन किया कि मेरा खाता और पत्नी का खाता यानी डिमैट अकाउंट बंद करवा दे जो भी शेयर है उनको बेचकर उसका पैसा मेरे खाते में ट्रांसफर कर दे। इस बार मेरे पास एचडीएफसी के शेयर डिपार्टमेंट का फोन आया मैंने उनको अपनी बात बताई। लेकिन ढाक के तीन पात कोई कार्रवाई नहीं हुई। मैंने पुनः दो बार जब खिटकिटाया तब मेरे पास फिर फोन आया और मैं अपनी सारी होल्डिंग बेचकर मेरा शेयर अकाउंट बंद करने को कहा।

मेरे रिलेशनशिप मैनेजर ने बताया आपका खाता बंद हो गया लेकिन मेरे अकाउंट से डीमैट फीस हर वर्ष काटती रही जबकि मेरे अकाउंट में एक भी शेयर नहीं था। मैंने कई बार कंप्लेंट करी तो यह कह दिया गया सर आपका पैसा मैं अभी वापस करवाता हूं। पत्नी का अकाउंट तो बंद ही नहीं किया। दो-तीन बार फिर शेयर डिपार्टमेंट से फोन आया तब मैंने बोला भैया पत्नी के भी सारे शेयर बेचकर डिमैट अकाउंट बंद करो। लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। मेरे डिमैट अकाउंट से लगभग ₹400 प्रति वर्ष की फीस बिना किसी ट्रांजिशन के कटती रही। मजे की बात यह है रिलेशनशिप मैनेजर यह कहते रहे आप एलिट कस्टमर है आपका डिमैट अकाउंट का चार्ज नहीं कटेगा। इसी बीच मेरे रिलेशनशिप मैनेजर ओपी तिवारी का ट्रांसफर घाटकोपर ब्रांच में कर दिया गया। अब मेरा सामना एक नए रिलेशनशिप मैनेजर मिस्टर सागर से हुआ। मैं लगभग 3 वर्षों तक उनके पीछे पड़ा रहा कल कल होता रहा। और अंत में मैंने बैंक में ईमेल के द्वारा कंप्लेंट कर दी। वह कंप्लेंट घूम कर फिर श्रीमान सागर के पास वापस आ गई और मुझको समझा बूझाकर यह आश्वासन के साथ कि आपकी पत्नी का अकाउंट बंद कर दिया जाएगा आपकी डिमैट अकाउंट से जो पैसे काटे गए हैं वह वापस मिल जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

मुझे यह भी बताया गया कि क्योंकि आप एलिट कस्टमर है इसलिए आपका डीमैट का चार्ज नहीं पड़ेगा। लेकिन एचडीएफसी ₹400 प्रति वर्ष की वसूली करती रही। ‌ तमाम आश्वासन के पश्चात मैंने अपनी कंप्लेंट वापस ले ली। लेकिन फिर एक वर्ष बीत गया और मुझे रुपए 354 अकाउंट से काटने का एसएमएस आ गया। जो मेरे बंद अकाउंट पर भी काट लिया गया। अब आप यह सोचिए कि मैं एचडीएफसी का एलीट कस्टमर हूं उसके बाद भी मैं कष्ट में मर रहा हूं। एचडीएफसी बैंक के कस्टमर का अर्थ होता है कष्ट में मर। मेरे पैसे कटते रहे और यह एचडीएफसी बहरों की तरीके से किसी बच्चे की भांति मुझे समझाता रहा और 5 साल बाद भी पत्नी का अकाउंट बंद नहीं हुआ।

मैंने एचडीएफसी बैंक की वेबसाइट पर दिए गए डीमैट के नंबर पर मिस्टर विशाल मिस गाबा और मुरली को फोन किया लेकिन कोई भी सफलता प्राप्त नहीं हुई क्योंकि फोन ही नहीं उठा। किसी भी फोन के पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे सैकड़ो प्रश्नों के उत्तर देने पड़ते हैं। और फिर भी समस्या हल नहीं होती।

क्या भारतीय रिजर्व बैंक भारत सरकार इन प्राइवेट बैंकों पर कोई लगाम लगाएगी जो विभिन्न योजनाओं के जरिए बड़े सम्मानित तरीके से अपने कस्टमर को हलाल करते हैं। अब देखना यह है कि मेरी पत्नी का डिमैट अकाउंट कब बंद होगा और मेरा काटा हुआ पैसा कब वापस किया जाएगा।