(www.arya-tv.com)बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में योग विभाग, स्कूल ऑफ योग, नैचुरोपैथी एण्ड कॉग्निटिव स्टडीज एवं राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान पुणे , आयुष मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 17 नवंबर को सेमिनार का आयोजन किया गया। बीबीएयू में दिनांक 16-17 नवंबर को ‘समग्र स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक चिकित्सा’ विषय पर द्वि दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सेमिनार की अध्यक्षता डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो० राणा प्रताप सिंह ने की। मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान की निदेशक प्रो० के० सत्यलक्ष्मी एवं भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा और योग स्नातक मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो० नवीन विश्वैश्वरैया ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। मुख्य रूप से मंच पर प्रो० बालचंद्र यादव, प्रो० शरद सोनकर, योग विभाग के अध्यक्ष प्रो.हरिशंकर सिंह, डॉ० दीपेश्वर सिंह एवं डॉ० नवीन जी एच मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति के ओर से अतिथियों को तुलसी का पौधा भेंट कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया। डॉ० नवीन जी एच ने सभी को कार्यक्रम की रूपरेखा से अवगत कराया।
योग विभाग के अध्यक्ष प्रो.हरिशंकर सिंह ने योग और प्राकृतिक चिकित्सा के चलन पर प्रकाश डाला और योग के साथ प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचलन पर अपने विचार व्यक्त किये। डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो० राणा प्रताप सिंह ने सभी को संबोधित करते हुए कहा, कि आज के समय में पुनः लोग आधुनिक चिकित्सा से प्राकृतिक चिकित्सा की ओर वापस लौट रहे हैं। प्राकृतिक चिकित्सा में किसी भी व्यक्ति के नैतिक, आध्यात्मिक, शारीरिक एवं मानसिक सभी पक्षों को ध्यान में रखकर बीमारियों का उपचार किया जाता है, जो कि स्वयं में ही एक विशेष प्रणाली है।
प्रो० के० सत्यलक्ष्मी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा को रोगों के उपचार एवं स्वस्थ्य जीवन शैली व्यतीत करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक माना जाता है क्योंकि इसके द्वारा स्वास्थ्य के लिए लाभकारी आदतों को विकसित करने का प्रयास किया जाता है।
डॉ० नवीन विश्वैश्वरैया ने चर्चा के दौरान कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा को सदियों पूर्व ही वेदों और पुराणों में बताया गया है । योग, प्राकृतिक चिकित्सा एवं आयुर्वेद कहीं न कहीं आपस में जुड़े हुए हैं जो कि व्यक्ति को प्रकृति के समीप लाकर उपचार करते हैं।
प्रो० बालचंद्र यादव ने अपने विचार रखते हुए कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से बीमारियों का उपचार खोजने के साथ- साथ अपनी मूल आत्मा को जानने का अवसर प्राप्त होता है। कार्यक्रम संयोजक डॉ० दीपेश्वर सिंह ने प्राकृतिक चिकित्सा को वर्तमान विज्ञान युग की आवश्यकता बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ० नरेंद्र कुमार सिंह द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के दौरान प्रो० वेंकटेश, डॉ० लालिमा, डॉ० शिखा तिवारी, डॉ० विपिन कुमार झा, डॉ० रमेश कुमार नैहलवाल, श्री सागर सैनी एवं विश्वविद्यालय के अन्य विद्यार्थी मौजूद रहे।