संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी- अफगानिस्तान में एक महीने में खाद्यान्न संकट हो सकता है

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(www.arya-tv.com)अफगानिस्तान में तालिबान अपनी सरकार बनाने की तैयारी कर रहा है और लूटे गए अमेरिकी हथियारों के साथ परेड निकाल रहा है। दूसरी तरफ देश पर खाद्यान्न संकट मंडरा रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान में एक महीने के अंदर खाने का संकट पैदा हो सकता है और हर तीन में से एक व्यक्ति को भूख का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही कहा है कि अफगानिस्तान के आधे से ज्यादा बच्चे इस वक्त खाने को तरस रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में अफगानिस्तान में खाने-पीने की वस्तुएं करीब 50% महंगी हो चुकी हैं, जबकि पेट्रोल की कीमतों में 75% का इजाफा हुआ है।

अमेरिका ने कहा- तालिबान एक क्रूर संगठन है, भरोसा नहीं कि यह बदलेगा
अफगानिस्तान छोड़ने के बाद अमेरिकी सेना के जनरल मार्क मिल्ले ने कहा है कि तालिबान एक क्रूर संगठन है और इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है वह बदलेगा या नहीं। जनरल मिल्ले और अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस दौरान मिल्ले ने ये तालिबान के साथ अमेरिका की अभी तक की डीलिंग्स को लेकर कहा कि ऐसे मौकों पर आप वही करते हैं अपने मिशन और फौज के लिए जोखिम कम करने के लिए जरूरी होता है, न कि वह जो आप चाहते हैं। वहीं ऑस्टिन ने कहा कि तालिबान के साथ भविष्य में सहयोग को लेकर कोई अटकलबाजी नहीं कर सकते, लेकिन उनका हमारा फोकस ISIS-K पर रहेगा।

बता दें बीते गुरुवार को काबुल एयरपोर्ट पर हमले के बाद से ही आतंकी संगठन ISIS-खुरासान (ISIS-K) को अमेरिका ने निशाने पर ले रखा है। काबुल एयरपोर्ट पर फिदायीन हमले में अमेरिका के 13 सैनिक मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी ISIS-K ने ली थी। इसके बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में ड्रोन से हमला कर ISIS-K के दो आतंकियों को मार गिराया था।

पंजशीर के लड़ाकों का ऐलान- तालिबान के खिलाफ जंग जारी रहेगी
पंजशीर में तालिबान के खिलाफ जंग लड़ रही रेजिस्टेंट फोर्स ने कहा है कि ये लड़ाई जारी रहेगी, क्योंकि तालिबान से वार्ता में कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। बता दें पूरे अफगानिस्तान में पंजशीर ही ऐसा इलाका है जहां तालिबान कब्जा नहीं कर पाया है। यहां पंजशीर के शेर के नाम से मशहूर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद और अफगानिस्तान के पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह तालिबान के खिलाफ जंग की अगुआई कर रहे हैं।

तालिबान ने पंजशीर को घेरने का दावा किया
तालिबान के एक सीनियर लीडर ने बुधवार को बताया कि उन्होंने पंजशीर को घेर लिया है और विद्रोही लड़ाकों से समझौता करने को कहा है। पंजशीर के लोगों को एक रिकॉर्डेड स्पीच भी सुनाई गई। इसमें तालिबान के सीनियर लीडर अमीर खान मोटाकी ने विद्रोही लड़ाकों से हथियार डालने की अपील की। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान का इस्लामी अमीरात सभी अफगानियों का घर है।

3 दिन में तालिबानी सरकार बनेगी, महिलाएं भी शामिल होंगी
कतर में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के उप-प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई ने बुधवार को कहा कि तीन दिन में नई सरकार की घोषणा हो जाएगी। इसमें वे लोग शामिल नहीं किए जाएंगे, जो 20 साल से सरकार में हैं। नई सरकार में पवित्र और शिक्षित लोग शामिल होंगे। महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा। इससे पहले तालिबान नेता अनस हक्कानी ने भी कहा था कि सरकार बनाने की प्रक्रिया आखिरी दौर में है।

तालिबान ने कहा- भारत से अच्छे संबंध चाहते हैं, कश्मीर में दखल नहीं देंगे
अमेरिका ने अफगानिस्तान में अलकायदा की कमर तोड़कर रख दी थी, लेकिन उसकी सैन्य मौजूदगी हटते ही अलकायदा फिर हिमाकत दिखाने लगा है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के जाने के अगले ही दिन अलकायदा ने तालिबान से कहा है कि अफगानिस्तान की ही तरह कश्मीर को आजाद कराया जाए। अलकायदा ने कहा, इसी तरह लेवंट, सोमालिया, यमन, कश्मीर को भी आजाद कराना चाहिए।

हालांकि, तालिबान ने अपना रुख साफ करते हुए कहा है कि वह अफगानिस्तान को आतंकियों के हाथ में नहीं पड़ने देगा। तालिबान नेता अनस हक्कानी ने बुधवार को कहा, ‘हम कश्मीर के मुद्दे में दखल नहीं देंगे। हम भारत के साथ दोस्ताना और अच्छे संबंध चाहते हैं। कश्मीर हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। हम हमारी नीति के खिलाफ काम नहीं करेंगे।’

अफगानियों का पलायन जारी
काबुल एयरपोर्ट से अमेरिकी सेना के जाने के बाद भी अफगानिस्तान से लोगों के पलायन का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। तालिबान की क्रूरता और खौफ की वजह से लोग किसी भी तरह देश छोड़ देना चाहते हैं। एयरपोर्ट बंद है, लेकिन लोग पहाड़ों और रेतीले रास्तों से होकर पाकिस्तान, तुर्की और ईरान बॉर्डर में जान की दुहाई देकर शरण ले रहे हैं।

डेली मेल ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें हजारों की संख्या में महिलाएं (गर्भवती भी शामिल), बच्चे, बुजुर्ग और नौजवान इन रास्तों से तालिबान के साये से दूर जा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस भीड़ में कई ऐसे लोग भी हैं, जो पैदल ही 1500 किलोमीटर पैदल चलकर तुर्की, ईरान और अफगानिस्तान भाग रहे हैं।