बिहार में धु्ंधली हो रही बेटी बचाओ अभियान,शोषको के अधीन हो गए प्रशासन

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  • महिला की बात पर CM नीतीश कुमार गंभीर, पटना DM को दी पीड़िता को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी

(www.arya-tv.com) बिहार में बेटी बचाओ अभियान की तस्वीर धुंधली पड़ गई है। बेटियों की रक्षा और सुरक्षा के लिए परिवार दौड़ रहा है, लेकिन न्याय नहीं मिल रहा है। इस अभियान की पोल CM नीतीश कुमार के सामने एक पीड़ित मां ने खोली है। 11 माह से बेटी के हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए दौड़ रही मां ने CM से कहा कि पुलिस पैसा लेकर आरोपियों को मदद पहुंचा रही है। पंडारक के रहने वाले JDU के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष स्वर्गीय शांति मोहन शर्मा उर्फ ओम जी की पत्नी सेवान्ति देवी बेटी की हत्या और पुलिस की करतूत की पोल CM के सामने खोल दी हैं। CM ने मामले को गंभीरता से लिया और DM पटना डॉ चंद्रशेखर सिंह से इस पूरे मामले का रिव्यू करने को कहा है।

2015 में शादी के बाद से प्रताड़ना, कई बार पंचायत हुई
JDU के पंडारक प्रखंड अध्यक्ष रहे स्व. शांति मोहन शर्मा उर्फ ओम जी की तीन बेटियों में सबसे छोटी आराधना (खुशबू) घर की लाडली थी। वर्ष 2015 में आराधना की शादी बेगूसराय के नगर थाना क्षेत्र के रहने वाले व्यापारी मनीष उर्फ मनीष भैया के साथ काफी धूमधाम से की गई। मनीष 8 बहनों में सबसे छोटा और इकलौता भाई है। शादी के बाद से ही ससुराल वाले खुशी को काफी प्रताड़ित करते थे। तब पिता जिंदा थे, तो वह उन्हें बताती थी। कई बार पंचायत हुई, लेकिन इसके बाद भी ससुराल वाले नहीं बदले। वर्ष 2016 में शांति मोहन शर्मा बेटी की ससुराल पहुंचे और CJM कोर्ट में केस करने के लिए प्रार्थना पत्र तैयार कर लिया। इस बात की जानकारी पर ससुरालियों ने माफी मांगी। इसके बाद मामला फिर शांत हो गया, लेकिन शांति मोहन शर्मा बेटी को लेकर काफी चिंतित रहते थे। कुछ ही दिन बाद बेटी की चिंता में उन्हें दिल का दौरा पड़ा और मौत हो गई। घटना के बाद CM नीतीश कुमार भी शांति मोहन शर्मा के घर पहुंचे थे। पिता की मौत के बाद खुशी के ससुराल वाले कुछ दिन शांत थे, लेकिन 2020 में फिर प्रताड़ित करने लगे।

प्रताड़ना से तंग हो मायके आई, ससुराल ले जाकर मार डाला
आराधना के भाई अमित दिल्ली में रहते हैं। अमित का कहना है कि प्रताड़ना से तंग उनकी बहन मां को फोन कर 21 अगस्त 2020 को ससुराल से घर पंडारक आ गई। वह किसी अनहोनी के डर से ससुराल जाने को तैयार नहीं थी। घर वालों ने भी सोच लिया था कि अब खुशी को उसके ससुराल कभी नहीं भेजना है, नहीं तो कोई घटना हो जाएगी। आराधना हमेशा बोलती थी कि सास और ननद दहेज के लिए टॉर्चर कर मारती हैं। इस बीच 30 अक्टूबर को अचानक मनीष गाड़ी लेकर पंडारक पहुंच गया और मानसिक रूप से परिवार वालों को ब्लैकमेल कर आराधना को ससुराल जाने के लिए मना लिया। वह कसम खाकर ले गया कि आराधना को अब कोई समस्या नहीं होगी।

11 लोगों पर दर्ज कराया गया था मुकदमा
आराधना कुमारी उर्फ खुशबू की मां सेवान्ति देवी ने घटना के बाद पति, सास ससुर सहित 11 लोगों के खिलाफ दहेज हत्या प्रताड़ना और घटना पर साजिश डालकर साक्ष्य मिटाने का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने इस मामले में पहले दिन से ही लीपापोती करनी शुरु कर दी थी। लेकिन दबाव के के बाद पति मनीष भैया, ससुर राम बदन सिंह और सास ललिता सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लेकिन घटना में शामिल अन्य 8 आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया।

मासूम है घटना की चश्मदीद
बेगूसराय जिला न्यायालय ने सभी फरार आरोपियों की अग्रिम जमानत रद्द कर दी इसके बाद भी पुलिस ने 8 में से किसी की गिरफ्तारी नहीं की। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी हत्या की पुष्टि हुई, शरीर पर 4 से 5 चोट के निशान भी मिले। इसके बाद भी मनमानी की गई। इस घटना में चश्मदीद आराधना की साढ़े 4 साल की बेटी जयति ने वीडियो में घटना का पूरा सच बताया था। इसका भी पुलिस ने संज्ञान नहीं लिया जबकि सीजेएम कोर्ट ने इसी वीडियो के आधार पर गिरफ्तार आरोपियों की नियमित जमानत याचिका रद की और फरार आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका रद की गई। आराधना के भाई अमित कुमार का कहना है कि पुलिस ने चार्जशीट भी 87 दिन पर दाखिल की लेकिन उसमें भी आरोपियों को बचाया गया है। पुलिस ने पति, सास और ससुर पर केस ट्रू किया और अन्य आरोपियो को क्लीन चिट दिया लेकिन सीजेएम कोर्ट नामित सभी आरोपियों पर संज्ञान लिया।