खदानों से पानी हटने के बाद ही मिलेगा पावर प्लांट को कोयला

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(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश में कोयले की किल्लत जारी है। पिछले दो दिन में पॉवर कारपोरेशन ने 45 मिलियन (साढ़े 4 करोड़) यूनिट बिजली खरीदी है। हालांकि सोमवार से हाइड्रो पावर की करीब 400 मेगावॉट बिजली मिल सकती है। सप्लाई को लेकर सोमवार को नियामक आयोग में सुनवाई होनी है। नियामक आयोग पावर सप्लाई की सहमति मिलते ही बिजली पावर कॉर्पोरेशन को मिलने लगेगी। यह बिजली 5.57 रुपए प्रति यूनिट की दर से मिलेगी।

  • इसकी कीमत 14 से 17 रुपए प्रति यूनिट के बीच रही है। जबकि अगर कोयला उपलब्ध होता तो यह बिजली पावर कॉर्पोरेशन को अधिकतम 6 रुपए यूनिट पड़ती है। यानी की जितने में दो से ढाई यूनिट बिजली पैदा की जा सकती है, उस पैसे से एक यूनिट बिजली मिल रही है।

    कोयले की कमी से प्रदेश में करीब 3600 मेगावॉट बिजली का उत्पादन पूरी तरह से ठप हो गया है। इसके अलावा करीब 1400 मेगावॉट उत्पादन पर्याप्त कोयला न होने की वजह से प्रभावित हुआ है। अब तक प्रदेश सरकार करीब 380 करोड़ रुपए से ज्यादा की बिजली पावर एक्सचेंज से खरीद चुकी है।

    कोयला न मिलने की वजह से पावर कॉर्पोरेशन को अपना ही नियम तोड़ना पड़ा है। तय किया गया था कि बिजली खरीद पर 7 रुपए प्रति यूनिट से ज्यादा खर्च नहीं किया जाएगा। लेकिन अभी 14 से 19 रुपए यूनिट तक की बिजली खरीदनी पड़ी है। अभी अक्टूबर के अंत तक कोयले की समस्या बनी रहेगी।आज नियामक आयोग में यदि सहमति बन जाती है तो सरकार और जनता को काफी सहूलियत मिलेगी। हाइड्रो पावर की बिजली सप्लाई के लिए करीब एक साल पहले करार हुआ था। लेकिन शर्तों में कुछ बदलाव के कारण मामला नियामक आयोग में चल रहा है। यहां से सब कुछ ठीक रहा तो अगले 14 दिन तक पावर कॉर्पोरेशन को 12 से 13 मिलियन यूनिट रोजाना मिलेगी। ऐसे में पावर एक्सचेंज की ख़रीददारी करीब 50 फीसदी तक कम हो जाएगी।

    महंगी बिजली पर सीलिंग लगाई जाए

  • राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने निजी कंपनियों पर हमला बोला है। निजी कंपनियों की सुस्त चाल के चलते नियामक आयोग की हरी झंडी नहीं मिल पाई है। अवधेश वर्मा ने कहा कि कोयला संकट में निजी कंपनियां 15 रुपए प्रति यूनिट तक महंगी बिजली बेच रही हैं। उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर केंद्र सरकार से मांग उठाई कि इंडियन एनर्जी एक्सचेंज की महंगी बिजली पर सीलिंग लगाई जाए।