भारत से राहत सामग्री लेकर 300 जवान ​​​​​​​तुर्किये-सीरिया पहुंचे:NDRF बेस पॉइंट पर करेगा रेस्क्यू

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(www.arya-tv.com) तुर्किये में भूकंप से गिरी इमारतों के मलबे में दबे लोगों को खोजने के लिए भारत सरकार ने अपने सबसे प्रशिक्षित डॉग भेजे हैं। इनके नाम हैं हनी और रेम्बो। ये दोनों गाजियाबाद में NDRF की आठवीं बटालियन का हिस्सा हैं। पहली बार इन्हें इंटरनेशनल लेवल के ऑपरेशन पर तुर्किये भेजा गया है।

ये दोनों खोजी डॉग 10 से 12 फीट नीचे मलबे में दबे लोगों को भी ढूंढ निकालते हैं। खासतौर से इस तरह की आपदाओं के लिए NDRF ने ये दोनों डॉग डेढ़ साल की ट्रेनिंग देकर तैयार किए थे।

भारत से अब तक छह विमानों में राहत सामग्री लेकर 300 जवान रवाना किए जा चुके हैं। इसमें NDRF के 101 और इंडियन आर्मी के 199 जवान हैं। गाजियाबाद की NDRF बटालियन को तुर्किये में भूकंप के प्रमुख केंद्र पर रेस्क्यू की जिम्मेदारी दी गई है।

C-17 ग्लोबमास्टर से तुर्किये गए दोनों डॉग
NDRF की आठवीं बटालियन गाजियाबाद में दिसंबर-2016 में देशभर की 12 बटालियन से 28 श्वान आए थे। डेढ़ साल तक इनकी ट्रेनिंग हुई और फिर परीक्षा हुई। परीक्षा में 28 में से जो 15 डॉग उत्तीर्ण हुए, उनमें लैबरा प्रजाति के हनी और रेम्बो भी थे। इन दोनों ने अपनी परीक्षा में लाइव विक्टिम को खोज निकाला था। इसके बाद इन्हें NDRF के बेड़े में शामिल किया गया।

NDRF प्रवक्ता नरेश चौहान ने बताया, हनी और रेम्बो भारतीय वायुसेना के C-17 ग्लोबमास्टर विमान से तुर्किये भेजे गए हैं। वहां ये NDRF की 101 सदस्यीय टीम के साथ मलबे में दबे लोगों को बाहर निकलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। दोनों डॉग के साथ इनके हैंडलर भी गए हैं।

शाहबेरी-मसूरी में बचाई थीं कई जानें
जुलाई–2018 में ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में दो बिल्डिगें एक साथ गिरी थीं। इसमें कई लोग मरे थे और बड़ी संख्या में लोग मलबे में दबे थे। NDRF के इन्हीं दोनों डॉग्स ने कई लोगों को सुरक्षित निकालकर नई जिंदगी दी थी। शाहबेरी के कुछ दिन बाद ही गाजियाबाद के मसूरी में चार मंजिला बिल्डिंग गिरी थी। इस ऑपरेशन में भी खोजी श्वान हनी और रेम्बो ने कई लोग बचाए थे।

ग्वालियर के टेकनपुर में है श्वान का सबसे बड़ा ट्रेनिंग सेंटर
खोजी श्वान को ट्रेनिंग देने का सबसे बड़ा सेंटर मध्यप्रदेश के जिला ग्वालियर स्थित टेकनपुर में है। इस ट्रेनिंग सेंटर को BSF संचालित करता है। यहां पर मिलिट्री, पैरा मिलिट्री के अलावा कई राज्यों की पुलिस के खोजी डॉग भी ट्रेंड किए जाते हैं। देशभर की ज्यादातर मिलिट्री-पैरा मिलिट्री फोर्सेज में यहीं के ट्रेंड खोजी डॉग भेजे जाते हैं। इतना ही नहीं, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, घाना, मॉरीशस और श्रीलंका के डॉग्स भी टेकनपुर सेंटर में प्रशिक्षण लेते हैं।

भारत से अब तक छह विमानों में तुर्किये-सीरिया पहुंची मदद

  1. गाजियाबाद में भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर से NDRF आठवीं बटालियन के 51 सदस्यीय पहले दल ने 6 फरवरी की रात 3 बजे हिंडन एयरबेस से उड़ान भरी। इसमें एनडीआरएफ की ड्रिल मशीनें, भूकंप में बचाव के लिए काम आने वाले सभी उपकरण, दो डॉग स्क्वायड भेजे गए हैं।
  2. गाजियाबाद हिंडन एयरबेस से 7 फरवरी की दोपहर साढ़े 12 बजे दूसरा सी-17 ग्लोबमास्टर रवाना हुआ। इसमें कोलकाता स्थित NDRF बटालियन के 50 जवान गए। इनके साथ खोजी श्वान, रेस्क्यू इक्यिपमेंट्स, वाहन आदि सामान भेजा गया है।
  3. आगरा 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल से इंडियन आर्मी की 45 सदस्यीय मेडिकल टीम 7 फरवरी की सुबह वायुसेना के स्पेशल विमान से तुर्किये गई। इस विमान में वेंटिलेटर, एक्सरे मशीन, ऑक्सीजन जेनरेटर प्लांट, कार्डिक मॉनिटर और 30 असेंबल बेड भेजे गए।
  4. आगरा 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल से 54 मेडिकल एक्सपर्ट चौथे सी-17 ग्लोबमास्टर विमान से तुर्किये भेजे गए। इस टीम में सभी तरह के मेडिकल एक्सपर्ट, डॉक्टर, विशेषज्ञ मौजूद हैं, ताकि वे भूकंप पीड़ितों का इलाज कर सकें।
  5. भारतीय वायुसेना का विमान C-130 छह टन इमरजेंसी राहत सामग्री लेकर सीरिया पहुंच गया है। इसमें जीवन रक्षक दवाइयां और इमरजेंसी मेडिकल आइटम्स हैं।
  6. गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस से मंगलवार देर रात भारतीय वायुसेना का छठा विमान C-17 ग्लोबमास्टर इंडियन आर्मी के 100 जवानों को लेकर उड़ा था, जो अलसुबह तुर्किये पहुंच गया है। इसमें भूकंप पीड़ितों के इलाज के लिए मेडिकल इक्वीपमेंट्स भेजे गए हैं।