हिजाब न पहनने पर ​ईरान में 10 साल की सजा, महिलाओं को AI की मदद से किया जाएगा ट्रैक

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(www.arya-tv.com) ईरान में पिछले साल ठीक से हिजाब न पहनने के चलते मॉरल पुलिस ने महसा अमीनी नाम की महिला को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद देश में बड़े स्तर पर हिजाब प्रदर्शन शुरू हुआ। 16 सितंबर को महसा की मौत को एक साल हो जाएगा। इस मौके पर ईरान की सरकार हिजाब को लेकर और सख्त नियम बनाने की तैयारी में है।

जानाकारी के मुताबिक, नए विधेयक में हिजाब न पहनने वालों की सजा को अधिकतम 2 महीने से बढ़ाकर 10 साल कर दिया जाएगा। इसके अलावा हिजाब न पहनने वाली महिलाओं को ट्रैक करने के लिए AI की मदद भी ली जाएगी। वहीं फिलहाल अधिकतम जुर्माना 1 हजार रुपए है, जिसे 70 हजार करने की तैयारी है।

कानून तोड़ने वाले बिजनेसमैन को अपनी 3 महीने की कमाई जितना जुर्माना या देश से निकाले जाने की सजा मिल सकती है। हिजाब कानून का विरोध करने पर सेलिब्रेटीज की संपत्ति का 10वां हिस्सा दंड के रूप में वसूला जा सकता है। उनके इंटरनेशनल टूर पर भी प्रतिबंध का प्रावधान होगा। नए बिल को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को सौंप दिया गया है अब यह संसद में पेश किया जाएगा।

माना जा रहा है कि आसानी से पास भी हो जाएगा। संसद से पास होने के बाद बिल 12 मेंबर वाली गार्जियन काउंसिल के पास जाएगा। इस काउंसिल की जिम्मेदारी ये देखना है कि बिल इस्लाम और ईरान के संविधान के तहत सही हो। गार्जियन काउंसिल से पारित होने के बाद ही इसे लागू किया जा सकेगा।

ईरान में हिजाब लंबे समय से विवाद का मुद्दा रहा है। 1936 में नेता रेजा शाह के शासन में महिलाएं आजाद थीं। शाह के उत्तराधिकारियों ने भी महिलाओं को आजाद रखा लेकिन 1979 की इस्लाम क्रांति में आखिरी शाह को उखाड़ फेंकने के बाद 1983 में हिजाब जरूरी हो गया।

ईरान पारंपरिक रूप से अपने इस्लामी दंड संहिता के अनुच्छेद 368 को हिजाब कानून मानता है। इसके मुताबिक ड्रेस कोड का उल्लंघन करने वालों को 10 दिन से दो महीने तक की जेल या 50 हजार से 5 लाख ईरानी रियाल के बीच जुर्माना हो सकता है।

ईरान में पिछले साल महसा की मौत के बाद से ही पहले हिजाब विरोधी और फिर सरकार विरोधी आंदोलन जारी हैं। दरअसल, 16 सितंबर 2022 को पुलिस कस्टडी में 22 साल की महसा अमिनी की मौत हो गई थी। 3 दिन पहले ईरान की मॉरेलिटी पुलिस ने महसा को ठीक से हिजाब नहीं पहनने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस दौरान पुलिस ने उससे मारपीट की थी, जिससे महसा कोमा में चली गई थी और फिर उसकी मौत हो गई थी।

इससे पहले फरवरी के अंत में ईरान में छात्राओं को पढ़ने से रोकने के लिए जहर दिए जाने का मामला सामने आया था। इस बात का खुलासा डिप्टी हेल्थ मिनिस्टर यूनुस पनाही ने किया था। उन्होंने कहा था- घोम शहर में नवंबर 2022 के बाद से रेस्पिरेटरी पॉइजनिंग के सैंकड़ों मामले सामने आए। स्कूलों में पानी को दूषित किया जा रहा है जिससे छात्राओं को सांस लेने में दिक्कत आ रही है।

ईरान में पिछले साल हिजाब के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन देश में 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद सबसे लंबे समय तक चलने वाला प्रदर्शन बन गया। इससे पहले बीते 5 साल में दो बार और प्रदर्शन हो चुका है, लेकिन उसे दबा दिया गया था। 2017 के आखिर में शुरू हुआ प्रदर्शन 2018 की शुरुआत तक चला था। जबकि नवंबर 2019 में महिलाओं ने आजादी, जिंदगी अपनी मर्जी से जीने की मांग को लेकर देशभर में प्रदर्शन किए थे। प्रदर्शनों को कुछ सेलिब्रिटीज ने समर्थन दिया था।