प्लास्टिक कचरे से जुड़े ये आंकड़े आपको कर देंगे हैरान

Business

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से दिए अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्लास्टिक को पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बताया। उन्होंने पहली बार के प्लास्टिक के उपयोग को घटाने और रिसाइकिल प्लास्टिक का उपयोग बढ़ाने की बात भी कही।
प्रधानमंत्री की वाजिब चिंता के बावजूद, क्या आप जानते हैं कि भारत प्लास्टिक कचरे के एक रूप ई कचरे का आयात भी करता है। दरअसल, प्लास्टिक कचरे का एक रूप ई-कचरे का शोधन भारत में हजारों करोड़ रुपये का बड़ा कारोबार बन चुका है। वर्ष 2016 में ई कचरे और प्लास्टिक के शोधन में दस लाख लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोजगार भी मिला हुआ है। यानी यह कचरा भारत के लाखों लोगों की रोजी-रोटी से भी जुड़ा हुआ है। ई कचरे (कम्प्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल) को बनाने में प्रयुक्त सोने या चांदी को निकालने के लिए इसका शोधन किया जाता है।

एक आंकड़े के मुताबिक ई-कचरे के उत्पादन में भारत चीन (7.2 मिलियन टन), यूएस (6.3 मिलियन टन), जापान (2.1 मिलियन टन) के बाद चौथे नंबर पर आता है जो प्रतिवर्ष 1.9 मिलियन टन कचरा प्रतिवर्ष पैदा करता है। प्लास्टिक की बात करें तो भारत में प्रति वर्ष लगभग 13 लाख टन प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। इससे लगभग नौ लाख टन कचरा हर साल पैदा होता है। प्रतिदिन के हिसाब से देखें तो 15 हजार टन प्लास्टिक कचरा रोज पैदा होता है जिसमें केवल नौ हजार टन कचरा ही रिसाइकिल किया जाता है। भारत में प्रयोग होने वाले प्लास्टिक का केवल 60 फीसदी हिस्सा ही रिसाइकिल हो पाता है।

रोजगार का माध्यम भी
इस क्षेत्र में काम कर रहे विशेषज्ञों के मुताबिक़ प्लास्टिक के पूरी तरह मुक्ति पाना बेहद मुश्किल है। इसकी वजह यह है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में अनेक ऐसी दवाएं, इंजेक्शन और सामग्रियां हैं जिन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए प्लास्टिक की आवश्यकता होती है। फिलहाल इसका कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में गैर जरूरी क्षेत्रों में प्लास्टिक के उपयोग को घटाने और स्वास्थ्य, वैज्ञानिक जैसे क्षेत्रों में उपयोग हो रहे प्लास्टिक को रिसाइकिल करने से समस्या का बड़ा समाधान निकल सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर प्लास्टिक कचरे की रिसाइकिलिंग को बढ़ावा दिया जाए तो अगले कुछ वर्षों में ही इसके 11 हजार करोड़ रुपये का व्यापार बन जाने की क्षमता है। इस तरह इस क्षेत्र में भी हजारों लोगों के रोजगार की संभावना छिपी हुई है।

नष्ट होने में लंबा समय
प्लास्टिक की बेहतर क्वालिटी समस्या का बड़ा कारण नहीं है क्योंकि इनको इकट्ठा करना और रिसाइकिल करना आसान काम होता है। प्लास्टिक का सबसे महीन रूप जिसे इस्तेमाल किया जा रहा है वह पोलीथीन का है। यह नष्ट होने में बहुत अधिक समय (20 साल से 1000 वर्ष तक) लेता है। दूसरे इसको इकट्ठा करना भी काफी मुश्किल काम होता है। पानी पीने की बोतलों को नष्ट होने में 450 साल का समय लगता है, जबकि प्लास्टिक कप के नष्ट होने में 50 साल का समय लग जाता है। यहां यह भी जानना चाहिए कि मामूली रूप से प्लास्टिक की परत चढ़े पेपर कप के नष्ट होने में भी 30 साल का समय लग जाता है।