दो महीने में भारतीय वायुसेना ने खर्च किए 7,500 करोड़

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भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने पिछले दो महीनों में मिसाइलों, निर्देशित बमों और नवीनतम विमान सहित 7,500 करोड़ रुपये की रक्षा खरीद को अंतिम रूप दिया है। 

300 करोड़ रुपये के समझौते पर किए थे हस्ताक्षर

इस संदर्भ में अधिकारियों ने बताया कि इनमें रूस से 1000 करोड़ रुपये की मिसाइलों की एक खेप की खरीद भी शामिल है। पिछले महीने, सरकार ने एक इस्राइली रक्षा फर्म के साथ 300 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत स्पाइस 2000 निर्देशित बमों की खरीद की जानी है। बता दें कि वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में किए गए एयरस्ट्राइक में स्पाइस बमों का ही इस्तेमाल किया था।

इससे पहले महीने की शुरुआत में खबर आई थी कि भारतीय वायुसेना लंबे समय से लंबित पड़े 1.5 लाख करोड़ रुपये की कीमत वाले दो ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देने जा रही है। 56 मिडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट वाला टाटा एयरबस कंसोरटियम वाला प्रोजेक्ट भी इस साल पूरा हो जाएगा। एक अन्य 114 लड़ाकू विमानों वाले बड़े प्रोजेक्ट को इस स्तर तक आने के लिए कई साल लगने वाले हैं। 1.5 लाख करोड़ की कीमत वाले 114 लड़ाकू विमानों के प्रोजेक्ट में से राफेल भी एक है जो रक्षा मंत्रालय की ‘सामरिक भागीदारी’ मॉडल के तहत आता है।

टाटा-एयरबस के साथ 1,929 करोड़ रुपये का समझौता

टाटा-एयरबस के साथ जो समझौता हुआ है, उसमें 56 ट्विन-टर्बोप्रोप टैक्टिकल सी-295 एयरक्राफ्ट हैं, ये प्रोजेक्ट लगभग फाइनल हो चुका है। इस प्रोजेक्ट की शुरुआती कीमत 11,929 करोड़ रुपये है। सी-295 विमान वायुसेना के एवरो विमानों की जगह लेंगे। एवरो विमान को 1960 के दशक की शुरुआत में शामिल किया गया था। हालांकि एयरबस पहले 16 विमानों की सप्लाई करेगा और बाकी के 40 विमानों को आठ साल के भीतर भारत में ही बनाया जाएगा।