चंद्रशेखर आजाद सिंह के जन्मदिन पर लोगों ने बताई ये बात

Kanpur Zone UP

कानपुर(www.arya-tv.com) बदले कितने हालात गुरू, पर अपने अंदर वही पुरानी बात गुरू। कुछ ऐसा ही है अपना शहर कानपुर। 24 मार्च 1803 को इसे जिला घोषित किया गया था, तो उस हिसाब से आज कानपुर का जन्मदिन है।

इतिहास से वर्तमान तक इसने कई पड़ाव देखे। कभी क्रांति का अग्रदूत बना, तो कभी व्यापार का। अलग मिजाज का है यह शहर। अपनी खास बोलचाल के कारण इसकी पहचान अब बॉलीवुड तक है। काशी के बाद कानपुर के ही घाट दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं। यहां रहने वाले लोग घाट-घाट का पानी पीये भी कहे जाते हैं। कनपुरियों का मन जिस चीज में लगता है, उसमें छा जाते हैं। यहां औसत वाली कोई बात है ही नहीं।

क्रांति के झंडाबरदार

1857 के प्रथम स्वतंत्रता समर से लेकर 1947 में आजादी मिलने तक उत्तर भारत में कानपुर क्रांतिकारियों का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र रहा। चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह से लेकर देश का शायद ही ऐसा कोई क्रांतिकारी रहा हो, जिसने यहां की आबोहवा न ली हो। अनेकानेक क्रांतिकारी तो कानपुर की धरती पर ही पैदा हुए।

व्यापार के सरदार

कभी अपनी कपड़ा मिलों के लिए उत्तर भारत का मैनचेस्टर कहा जाता था। फिर वे बंद होने लगीं, लेकिन दूसरे उद्यमों ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया। चमड़ा उद्योग में कानपुर देश में प्रथम पंक्ति में है। हैवी मशीनरी और होजरी उद्योग में भी कानपुर दूर-दूर तक नाम कमा रहा है। कानपुर का जेके समूह तो देश के शीर्ष उद्योग समूहों में शुमार रहा।

असरदार कलमकार

पत्रकारिता और हिंदी साहित्य में भी कानपुर का नाम अग्रणी रहा है। गणेश शंकर विद्यार्थी, बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’, राय देवी प्रसाद ‘पूर्ण’, सद्गुरु शरण अवस्थी, विश्वंभरनाथ शर्मा ‘कौशिक’, पद्मश्री गिरिराज किशोर आदि की कर्मभूमि कानपुर ही रहा।