अपनी ढहती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए पाकिस्तान के सरहद चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (SCCI) ने हाल में अजरबैजान में एक निवेश शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। इस प्रोग्राम में निवेशकों को लुभाने के लिए बेली डांसर्स परफॉर्म करते नजर आए। इस इवेंट का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है।
पाकिस्तानी पत्रकार गुल बुखारी ने ट्वीट कर लिखा कि खैबर पख्तूनख्वा में निवेश के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए अजरबैजान की राजधानी बाकू में चार से आठ सितंबर के बीच शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें बेली डांसर्स ने सम्मेलन में उपस्थित लोगों के सामने मंच पर नृत्य करके शो को हाइजैक कर लिया। हद तो तब हो गई जब वहां मौजूद निवेशकों में से कुछ ने उठकर उन डांसर्स की तस्वीरें लेना शुरू कर दिया।
बता दें कि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए पाकिस्तान का वार्षिक राजकोषीय घाटा पिछले तीन दशकों में सबसे अधिक बढ़कर 8.9 प्रतिशत पर पहुंच गया है। राजकोषीय घाटा का अर्थ संघीय सरकार के राजस्व और व्यय के बीच का अंतर है। यह आंकड़ा पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की विकट स्थिति को दर्शा रहा है।
इमरान सरकार आर्थिक मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए लगातार भारत के खिलाफ जंग का ढ़ोल पीट रहे हैं। इतना ही नहीं इसमें उनके मंत्री-नेता और अधिकारी भी साथ दे रहे हैं। बिगड़ती स्थिति के बीच चीन और सऊदी अरब से मिला थोड़ा बहुत बेलआऊट पैकेज पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को सांस दे रहा है। इसके अलावा मई में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान के लिए छह बिलियन अमेरिकी डालर के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दी।
पाकिस्तान से 11 गुना अधिक है भारत की अर्थव्यवस्था
कर्ज के बोझ से कंगाली की दहलीज पर खड़े पाकिस्तान के लिए में महंगाई, बेरोजगारी, बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी चीजों की बहुत दिक्कत है। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018 के अंत तक पाकिस्तान की जीडीपी 254 अरब की थी। इस अवधि में भारत की जीडीपी 28.4 खरब (2.84 ट्रिलियन डॉलर) थी। इसका मतलब भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से 11 गुना अधिक है।
बजट घाटा पिछले आठ वर्षों में सबसे ज्यादा
हाल ही में पाक अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपनी एक रिपोर्ट में यह आशंका जताई थी कि पाक का मौजूदा वित्तीय वर्ष में बजट घाटा पिछले आठ वर्षों में सबसे ज्यादा है। पाक वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश का बजट घाटा देश के कुल घरेलू उत्पाद का 8.9 फीसदी (3.45 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गया है जो गतवर्ष 6.6 फीसदी था।