World Arthritis Day 2021: अर्थराइटिस से जुड़े 7 मिथकों की सच्चाई

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(www.arya-tv.com) हर साल दुनियाभर में 12 अक्टूबर को विश्व गठिया दिवस मनाया जाता है। यह दिन लोगों में हड्डियों से जुड़ी इस गंभीर बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किया जाता है। इस दिन पर कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जिसमें वर्ल्ड अर्थराइटिस डे की थीम के अनुसार कार्यक्रमों की रूप रेखा रखी जाती है।

आज इस मौके पर हम अर्थराइटिस से जुड़े कुछ आम मिथकों के बारे जानेंगे, जिनके बारे में सभी को पता होना चाहिए।

पहला मिथक: सिर्फ बुढ़ापे में ही होता है अर्थराइटिस

सच: अर्थराइटिस आमतौर पर बुज़ुर्गों में आम है, लेकिन यह किसी भी उम्र में लोगों को अपना शिकार बना सकती है। रुमेटीइड गठिया 20-40 वर्ष की आयु के लोगों में उपस्थित होता है।

दूसरा मिथक: अगर आपके जोड़ों में दर्द हो रहा है तो ये अर्थराइटिस है।

यह सच नहीं है। जोड़ों में सभी तरह के दर्द का मतलब अर्थराइटिस नहीं है, साथ ही सभी जोड़ों की परेशानी इस बात का संकेत नहीं है कि आगे चलकर गठिया हो सकता है। जोड़ों में और उसके आसपास दर्द के कई संभावित कारण हैं, जिनमें टेंडिनाइटिस, बर्साइटिस और चोटें शामिल हैं।

तीसरा मिथक: जिन लोगों को अर्थराइटिस है उन्हें एक्सरसाइज़ नहीं करनी चाहिए।

सच: व्यायाम आमतौर पर एक ऐसी गतिविधि नहीं है जिससे गठिया से पीड़ित लोगों को बचना चाहिए, हालांकि उन्हें वर्कआउट शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। व्यायाम जोड़ों में गति और शक्ति की सीमा को बनाए रखने में मदद कर सकता है। गठिया होने पर भी एक्सरसाइज़ करनी चाहिए। जिन लोगों को अर्थराइटिस है और वे रोज़ाना एक्सरसाइज़ करते हैं, तो उन्हें दर्द कम होता है, ऊर्जा ज़्यादा होती है, बेहतर नींद आती है और दिन भर के काम बेहतर तरीके से होते हैं।