नीतीश कुमार होंगे इंडिया गठबंधन का चेहरा? बिहार CM के मंसूबे पर कौन फेरेगा पानी

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(www.arya-tv.com) 19 दिसंबर को होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक का सबसे बड़ा सवाल यह है कि नीतीश कुमार किसी बड़ी जिम्मेवारी से नवाजे जाएंगे? ऐसा इसलिए कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जेडीयू के वरीय नेता भले उन्हें प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं,

पर सम्मेलनों और कार्यक्रमों को लेकर जो बातें सामने आ रही है उसके अनुसार इंडिया गठबंधन के साथी दलों से ही समर्थन नहीं मिल रहा है।यहां तक कि आरजेडी नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी जिसके नेतृत्व में 2025 का चुनाव लड़ने का वादा कर चुके हैं, उनकी सरकारी कार्यक्रमों से तेजस्वी यादव खुद को अलग करते दिखे।

नीतीश और तेजस्वी क्यों नहीं दिख रहे एक मंच पर

इन दिनों राजनीतिक गलियारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को लेकर यह चर्चा हो रही है कि ये दोनों एक मंच पर नहीं दिख रहे हैं।

उस पर नीतीश कुमार स्वभाव के विपरित कार्यक्रमें में अक्सर चुप्पी साधना या कम बोलने को लेकर भी यह कहा जाने लगा है कि इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

इन दिनों बिहार में सबसे चर्चित रहे इन्वेस्टर मीट के प्रति नीतीश कुमार उत्साहित नहीं दिखे। दो दिन के इन्वेस्टर मीट से नीतीश कुमार ने दूरी बनाए रखा। सिर्फ एक आइटी कंपनी के उद्घाटन कार्यक्रम में जरूर गए।

पिछले दिनों पुनौरा धाम सीतामढ़ी में जानकी मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम से भी तेजस्वी यादव नहीं पहुंचे। जबकि यह विभाग उन्हीं का है। शायद इसी वजह से नीतीश कुमार ने भक्ति भाव दिखाया और बिना भाषण दिए चले गए।

पिछले दिनों पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल और डबल डेकर सड़क निर्माण के निरीक्षण में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव नहीं दिखे।

यहां तक कि नवादा में गंगा जल आपूर्ति कार्यक्रम में भी तेजस्वी यादव नहीं गए जबकि उस कार्यक्रम के मुख्यातिथि तेजस्वी यादव थे।

बनारस की रैली और इंडिया गठबंधन

हालंकि बनारस की रैली इंडिया गठबंधन के लिए साइकॉजिकल वार से ज्यादा कुछ नहीं था। इस रैली का उद्देश्य भी था पीएम नरेंद्र मोदी के गढ़ में बीजेपी को अपनी शक्ति का अहसास कराना भी था।

परंतु इसके असफल होने पर नीतीश कुमार की क्षमता पर तो सवाल उठते ही साथ ही गठबंधन की राजनीत पर काफी असर पड़ जाता।

हालंकि, इस रैली के न होने की कारणों की पड़ताल करें तो इसकी वजह रैली में भीड़ का नहीं जुटना बताया जा रहा है। इस रैली को सफल होने के लिए जाहिर है इंडिया गठबंधन के साथी दलों के भरपूर सहायता की जरूरत थी।

खासकर समाजवादी और कांग्रेस पार्टी का समर्थन भी जरूरी था। लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि न तो समाजवादी पार्टी और न ही कांग्रेस ने कोई दिलचस्पी दिखाई।

उस पर नीतीश कुमार के खराब स्वस्थ की चर्चा को भी एक बडा कारण बताया जा रहा है। लेकिन इस स्थगित रैली का सबसे ज्यादा नुकसान इंडिया गठबंधन को हुआ। भाजप के नेताओं को तंज कसने का मौका मिल गया।

झारखंड की रैली और नीतीश कुमार

वैसे तो नीतीश कुमार हिंदी पट्टी के सभी राज्यों में रैली करना चाहते थे। लेकिन सबसे पहले पड़ोसी राज्य में रैली कराना चाहते थे। इसी के बनारस और झारखंड चुना गया था। झारखंड की एक वजह यह भी थी बिहार से अलग होने के बाद कुर्मी की अच्छी संख्या झारखंड में चली गई थी।

आदिवासी के बाद कुर्मी यहां दूसरी बड़ी जाति है। बीजेपी के आधार बोर्ड के भरोसे नीतीश कुमार सफल राजनीति भी कर चुके हैं। एक समय था जब जेडीयू के कई विधायक और मंत्री भी थे।

लेकिन बीजेपी से नाता टूटने के बाद जेडीयू की वह स्थिति नहीं है। साथ इसके रैली के लिए झारखंड सरकार का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। ऐसे में जेडीयू की रैली की अपेक्षित सफलता पर ग्रहण भी लग सकता है।

विपक्षी की चौथी बैठक भी फ्लॉप होगी : मोदी

पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि गठबंधन की पिछली तीन बैठकों की तरह इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक भी फ्लॉप होने जा रही है। नीतीश कुमार का अक्सर बीमार रहने और विधान सभा में महिलाओं पर अश्लील टिप्पणी करने के बाद उनके इंडी गठबंधन का नेता चुने जाने की रही-सही सम्भावना भी समाप्त हो गई।

चौथी बैठक में चाय पार्टी और फोटो सेशन के अलावा कुछ नहीं होने वाला है। ‘आप’ के नेता केजरीवाल विपश्यना ध्यान करने 10 दिन की छुट्टी पर चले गये। शरद पवार की पार्टी टूट चुकी है, ममता दीदी का कोई भरोसा नहीं और नीतीश कुमार कब बीमार हो जाएं, पता नहीं।

कांग्रेस और उसके नेतृत्व में एकजुट होने का दावा करने वाला विपक्ष तीन हिंदी भाषी राज्यों में करारी हार से हताश है। ये थके-हारे लोग कोई बड़ा निर्णय लेने की स्थिति में भी नहीं हैं।

विपक्ष न भोपाल में साझा रैली कर पाया, न गठबंधन की उप-समितियों की बैठक हो पायी। ये लोग भाजपा के विरुद्ध साझा उम्मीदवार भी नहीं तय कर पाएंगे।